Book Title: Mandir Vidhi
Author(s): Basant Bramhachari
Publisher: Akhil Bharatiya Taran Taran Jain Samaj
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२२
उप उपजिऊ हो भय विनासु ठहकार सुभाए । जिन वयन जु हो उपजिऊ स्वामी ममल सुभाए । उप उपजिऊ हो कम्मु जु विलयौ धम्म सहाए । विपि कम्मु जु हो मुक्ति संजोये न्यान सहाए ॥ २ ॥ उव उवनउ हो अर्थति अर्थह ममल सहाए । ठहकारे हो न्यान विन्यान सु धम्म सुभाये ।। जह कम्मु जु हो उपजिऊ भवियन समल सहाए । जो कम्मु जु हो विलयौ स्वामी न्यान सहाए ॥ ३ ॥ जो चष्य अचष्यह उपजिऊभवियन अन्यान सहाए। सो कम्मु जु हो विलयौ चेयन धम्म सुभाए || जं जानु उपजिऊ समई ममल सहाए । तं न्यान अन्मोयह मिलियौ ममल सुभाए ॥ ४ ॥ जं न्यान विन्यान उवनऊ ममल सहाए । तं न्यान अनन्तु जु दर्सिउ धम्म सुभाए || जं अष्यर सुर विंजन सहियौ ठहकार सहाए । तं दर्सिउ हो दर्सन दिट्टि हि ममल सुभाए || ५ ॥ पद दर्सिउ हो परम तत्तु परमप्प सहाए । विन्यानह हो दर्सिउ विन्दु जु धम्म सहाए || पद अर्थ उवन्नऊ समई ठहकार सहाए । तं अर्थति अर्थह जोयो ममल सुभाए ॥ ६ ॥ सम अर्थ संजोए जोयो धम्म सहाए । परमर्थह पद अर्थह ठवियौ न्यान सुभाए || कल लंकृत हो कम्मु जु उपजै समल सहाए । सो न्यान अन्मोयह विलयौ ममल सुभाए ॥ ७ ॥ निसंकह हो संक जु विलयौ धम्म सहाए । ठहकारे हो न्यान विन्यानह ममल सुभाए || भय विनसिय हो भवु उवन्नउ ममल सुभाए । विपि कम्मु जु हो मुक्ति पहुंतऊ ममल सुभाए ॥ ८ ॥
९. सेहरौ फूलना (फूलना क्र.५०)
(विषय : नंद-१,लब्धि-१, सिध्द की महिमा) उव उवनऊ उवन उवन उवन मौ उवन पऊ । उव उवनऊ नन्तानन्तु अलष जिन नन्द मऊ । तं नन्द अनन्द सनन्द नन्द गम अगम रऊ ॥ १ ॥

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