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साधारण (लघु) मंदिर विधि सावधान ! उच्चारण करते हुए सभी श्रावकजन खड़े होकर श्री अध्यात्मवाणी जी को विनयपूर्वक उच्चासन पर विराजमान करके हाथ जोड़कर विनय संबंधी यह दोहा पढ़ें
जिनवाणी के ज्ञान से, सूझे लोकालोक ।
सो वाणी मस्तक धरूं, सदा देत पद धोक || (पश्चात् "जय नमोऽस्तु" कहकर तत्त्व मंगल प्रारंभ करें)
तत्त्व मंगल
देव को नमस्कार तत्त्वं च नन्द आनन्द मउ, चेयननन्द सहाउ । परम तत्त्व पद विंद पउ, नमियो सिद्ध सुभाउ ||
गुरु को नमस्कार गुरु उवएसिउ गुपित रुइ, गुपित न्यान सहकार | तारन तरन समर्थ मुनि, गुरु संसार निवार ||
धर्म को नमस्कार धम्मु जु उत्तउ जिनवरह, अर्थ तिअर्थह जोउ । भय विनासु भवु जु मुनहु, ममल न्यान परलोउ । (देव को, गुरु को, धर्म को नमस्कार हो)
: दोहा : ॐकार से सब भये, डार पत्र फल फूल | प्रथम ताहि को वंदिये, यही सबन को मूल ||
: श्लोक: ॐकारं विन्दु संयुक्तं, नित्यं ध्यायन्ति योगिनः । कामदं मोक्षदं चैव, ॐकाराय नमो नमः ।।
: चौपाई : ॐकार सब अक्षर सारा,पंच परमेष्ठी तीर्थ अपारा । ॐकार ध्यावे त्रैलोका, ब्रह्मा विष्णु महेसुर लोका || ॐकार ध्वनि अगम अपारा, बावन अक्षर गर्भित सारा । चारों वेद शक्ति है जाकी, ताकी महिमा जगत प्रकाशी ॥ ॐकार घट घट परवेसा, ध्यावत ब्रह्मा विष्णु महेशा । नमस्कार ताको नित कीजे, निर्मल होय परम रस पीजे ||