Book Title: Mandir Vidhi
Author(s): Basant Bramhachari
Publisher: Akhil Bharatiya Taran Taran Jain Samaj

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Page 131
________________ १३१ ......... - श्री चैत्यालय, हम और हमारा कर्तव्य.... प्रश्न - श्री चैत्यालय जी किस प्रकार जाना चाहिये? उत्तर - घर में स्नान करके धुले हुए शुद्ध वस्त्र पहिनकर मंद कषाय पूर्वक हृदय में निर्मल परिणाम रखकर सच्चे देव गुरु धर्म शास्त्र के गुणानुराग के शुभ भाव सहित श्री चैत्यालय जी जाना चाहिये। प्रश्न - श्री चैत्यालय जी में किस प्रकार प्रवेश करना चाहिये? उत्तर - श्री चैत्यालय जी में अत्यंत भक्ति के भाव पूर्वक, धर्म की अत्यंत श्रद्धा और देव गुरु धर्म के प्रति समर्पण भाव पूर्वक प्रवेश करना चाहिये। प्रश्न श्री चैत्यालय जी में प्रवेश करने के पूर्व क्या सावधानी रखना चाहिये? उत्तर - १. श्री चैत्यालय जी मे चमड़े के बटुआ, चमड़े के बेल्ट या घड़ी का पट्टा, फर के टोप आदि अपवित्र वस्तुएँ नहीं ले जाना चाहिये। २. मोजा पहने हुए अथवा बिना पैर धोए श्री चैत्यालय जी में प्रवेश नहीं करना चाहिये। ३. जूठे मुँह पान, जर्दा, सुपाड़ी, गुटका, लोंग, इलायची, पान पराग आदि कोई भी वस्तु खाकर श्री चैत्यालय जी में प्रवेश नहीं करना चाहिये । घर से कुछ खाये पिये बिना ही श्री चैत्यालय जी जाना चाहिये। ४. श्री चैत्यालय जी में प्रवेश करने के पूर्व छने जल से पैर धोना चाहिये। (सारांश-श्री चैत्यालय जी धर्म आराधना का केन्द्र है, उसकी मर्यादा पवित्रता बनाये रखकर शुद्ध और पवित्र अवस्था में ही श्री चैत्यालय जी जाना चाहिये।) प्रश्न - श्री चैत्यालय जी में प्रवेश करते समय घंटा क्यों बजाया जाता है? उत्तर - घंटा बजाने से एक गम्भीर ध्वनि होती है, घंटा में से जो गूंज उत्पन्न होती है, इससे हमारे मन में जो भी संकल्प-विकल्प होते हैं वे समाप्त हो जाते हैं । भावों मे निर्मलता आती है तथा धर्म का ऐसा नाद हमारे अंतर मे गूंजता रहे इस पवित्र अभिप्राय से घंटा बजाया जाता है। प्रश्न - श्री चैत्यालय जी प्रवेश करते समय क्या बोलना चाहिये? - श्री चैत्यालय जी में प्रवेश करने के पश्चात् वेदी की ओर जाते समय निःसही, निःसही, निःसही ऐसा तीन बार बोलना चाहिये। प्रश्न - निःसही, निःसही तीन बार क्यों बोलना चाहिये? उत्तर - निःसही बोलने का अभिप्राय है कि मुझे अपना आत्म कल्याण करना है, संसार के दुःखों से मुक्त होकर निःश्रेयस अर्थात् मोक्ष को प्राप्त करना है और दूसरा अभिप्राय यह है कि जब हम किसी विशेष स्थान पर जाते हैं तो पूछकर या कोई संकेत करके प्रवेश करते हैं। इसी प्रकार जब हम चैत्यालय जी में प्रवेश करते हैं तो निःसही बोलकर संकेत करते हैं जिससे वहाँ उपस्थित कोई सूक्ष्म जीवों या व्यंतर आदि देव जो धर्म स्थान में निवास करते हैं उन्हें हमारे निमित्त से कोई बाधा न हो, इसलिये निःसही तीन बार बोलना चाहिये। प्रश्न - वेदी के समक्ष पहुँचकर क्या करना चाहिये? उत्तर - वेदी के समक्ष पहुँचकर दर्शन करना चाहिये।

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