Book Title: Mandir Vidhi
Author(s): Basant Bramhachari
Publisher: Akhil Bharatiya Taran Taran Jain Samaj

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Page 145
________________ तारण झण्डा वन्दन तारण तरण गुरु का प्यारा, झण्डा ऊँचा रहे हमारा | जिन शासन का यही सहारा ॐ पद चिन्ह विभूषित प्यारा । केशरिया रंगीन हमारा, झण्डा ऊँचा रहे हमारा ॥ १ ॥ इसे देख हो पुलकित मन विजय गीत संगीत वचन झण्डा लहर लहर लहरावे, जग में यह घर घर फहरावे । वसुधा का दुःख दूर भगावे, जिन शासन का बजे नगारा ॥ वीरों को हरषाने वाला प्रेम सुधा बरसाने बरसाने वाला I वीर धर्म सरसाने वाला यह गौरव अभिमान हमारा || में , । रोम रोम रोमांचित तन में गायें तारण वीर हमारा ॥ में १४५ २ ॥ ३ ॥ ४ ॥ । ५ ॥ || ७ ॥ भू मंडल तारण गुण गावे, इस झण्डे के नीचे आवे यह रंग रंग में जोश बढ़ाये बढ़ो बढ़ो मैदान हमारा ॥ इस झण्डे को जो फहराता, वह मन वांछित पदवी पाता । भू मंडल उसका गुण गाता, फहरा कर देखो इक बारा ॥ ६ तीर्थंकर की यही पताका, समवशरण में यह लहराता । इसका विजय गान वह गाता, सुरपति भी कर नृत्य अपारा || इसकी एकाएक लहर में, टपक रहा रस वीर कहर में । दृढ रखना तुम अपने कर में तारण वीर वीर मतवारा || वीर रणांगन में अब आओ, इस झण्डे को लेकर जाओ । सौ सौ बार विजय कर लाओ, लो यह शुभ आशीष हमारा ॥ पाँच लाख त्रेपन हजार का दल हो यह तो एक बार का फिर तो भू मंडल प्रचार का बीड़ा तुम्हीं उठाना प्यारा ॥ वीर वीर सैनिक बन जाओ, आशावादी बनकर आओ । अब कायरता दूर भगाओ, तब विजयी भवि वृन्द तुम्हारा ॥ ११ ॥ ८ ॥ ९ १० ॥

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