Book Title: Mandir Vidhi
Author(s): Basant Bramhachari
Publisher: Akhil Bharatiya Taran Taran Jain Samaj

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Page 144
________________ प्रश्न दीपावली पर्व पर रात्रिकालीन पूजा किस प्रकार करना चाहिये ? उत्तर - - नोट : किसी सुविधाजनक साइज में प्लाई अथवा धातु पर सुंदर डिजाइन में णमोकार मंत्र लिखवा लें या किरण युक्त ॐ बनवा लेवें, ॐ भी पंच परमेष्ठी का प्रतीक होता है। इसे पूजा वाले स्थान पर ऊँचाई पर रखें। आगे चौकी पर श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी ग्रंथ और जिनवाणी विराजमान करें। उसके आगे चौक बनाकर या रांगोली डालकर उसके ऊपर दीपक रखें । मंगलं भगवान वीरो.....श्लोक पढ़ते हुए कलश स्थापित करें। सर्व मंगल मांगल्यं............ श्लोक पढ़ते हुए कलश पर चंदन रोली से स्वास्तिक बनायें । णमोकार मंत्र पढ़ते हुए जितने दीपक आपने रखे हैं उन सबको प्रज्जवलित कर लेवें। पश्चात् परिवार के सभी सदस्य मिलकर भक्ति पूर्वक तत्त्व मंगल, ओंकार मंगल, अध्यात्म आराधना में से गुरु स्तुति, पंचपरमेष्ठी मंगल का पाठ करके आरती करें। इस अवसर पर अथवा जीवन में कभी भी किसी भी रूप में कुदेवादि की मान्यता पूजा करना मिथ्यात्व है जो अनन्त संसार का कारण है । भजन दीपावली महोत्सव पर आत्म भावना यह दीपावली महान, वीर निर्वाण, सुनो भवि प्राणी ॥ बन जाओ सम्यक् ज्ञानी ॥ जब वीर प्रभु निर्वाण गये, मुनि गौतम भाव विभोर भये ॥ अब कौन सुनायेगा हमको जिनवाणी, बन जाओ.. गौतम ने प्रभु से राग किया, उसका फल सब जब भोग लिया || तब संध्या समय हुए वे केवलज्ञानी, बन जाओ.... अब अपनी ओर निहारो जी, सब मोह राग निरवारो जी ॥ यह राग आग है जग परिभ्रमण निशानी, बन जाओ........ तन धन जन से नाता तोड़ो, उपयोग निजातम से जोड़ो ॥ बस यही साधना है तुमको सुखदानी, बन जाओ... तुम सहजानन्द सुखराशी हो, ब्रह्मानंद शिवपुर वासी हो । यह समझा रही है गुरु तारण की वाणी, बन जाओ.. ॥ जय तारण तरण | १४४ ......................

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