Book Title: Mandir Vidhi
Author(s): Basant Bramhachari
Publisher: Akhil Bharatiya Taran Taran Jain Samaj

View full book text
Previous | Next

Page 126
________________ भजन ३ नरभव मिला है विचार करो रे, आतम का अपनी उद्धार करो रे । काल अनादि निगोद गंवाया, पशु गति में कोई योग न पाया ॥ नरकों के दुःखों का ध्यान धरो रे.....आतम............. मुश्किल से यह मनुष्य गति पाई, देवगति में भी सुख नाहीं ॥ वृथा न इसको बरबाद करो रे......... ...आतम............. देख लो अपना क्या है जग में भटक रहे हो, क्यों भव वन में ॥ मुक्ति का मार्ग स्वीकार करो रे...आतम............. मोह राग में मरे जा रहे धन शरीर के चक्कर खा रहे । अपना भी कुछ तो श्रद्धान करो रे.....आतम.................... जीव अजीव का भेदज्ञान कर लो, संयम तप त्याग ब्रह्मचर्य धर लो || ज्ञानानंद अपनी संभार करो रे......... आतम... भजन - ४ · मोक्ष मार्ग बतलाया गुरु ने शुद्धातम का ध्यान ॥ जय हो चौदह ग्रंथ महान || मालारोहण अनुभव करना, पंडित पूजा ज्ञान साधना ॥ खिल जाये फिर कमलबत्तीसी करके भेद विज्ञान... जय हो... ...... शुद्ध श्रावकाचार पालना, ज्ञान समुच्चय सार जानना ॥ द्वादशांग का सार समझकर चढ़ना है गुण स्थान... जय हो... श्री उपदेश शुद्ध सार जी, सार त्रिभंगी में सम्हार की ॥ चौबीसठाणा में समझाया, छोड़ो सब अज्ञान... जय हो... ममलपाहुड के छंद फूलना, गुरुवर के अनुभव के झूलना || मोक्ष पुरी ले जाने को आयेगा तरण विमान... जय हो... खातिका विशेष चतुर्गति धारा, जीव फिर रहा मारा मारा ॥ 1 जगा रही गुरु वाणी अब तो जागो हे भगवान... जय हो... सिद्ध स्वभाव स्वभाव शून्य है, वहाँ न कोई पाप पुण्य है ॥ छद्ममस्थ वाणी आज बनी, तारण समाज का प्राण... जय हो... ग्रंथ नाममाला मन भाई, ब्रह्मानंद में डूब डूब कर चौदह ग्रंथ परम सुखदाई ॥ करते सब गुणगान... जय हो... १२६

Loading...

Page Navigation
1 ... 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147