Book Title: Mandir Vidhi
Author(s): Basant Bramhachari
Publisher: Akhil Bharatiya Taran Taran Jain Samaj

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Page 107
________________ १०७ मंदिर विधि में प्रयुक्त लक्षण संग्रह भेद - प्रभेद श्री १०८ गुणों की जाप परमेष्ठी ५- अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु । रत्नत्रय ३ - श्री सम्यग्दर्शन, श्री सम्यग्ज्ञान, श्री सम्यक्चारित्र। अनुयोग ४ - प्रथमानुयोग, करणानुयोग, चरणानुयोग, द्रव्यानुयोग। सिध्द पूजा यंत्र सिद्ध के ८ गुण - १. सम्यक्त्व, २. दर्शन, ३. ज्ञान, ४. अगुरुलघुत्व, ५. अवगाहनत्व, ६.सूक्ष्मत्व, ७.वीर्यत्व, ८. निराबाधत्व। अर्हन्त पूजा यंत्र सोलह कारण भावना - १. दर्शन विशुद्धि,२. विनय सम्पन्नता, ३. शीलव्रतेष्वनतिचार, ४.अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोग, ५. संवेग, ६.शक्तितस्त्याग,७.शक्तितस्तप,८.साधुसमाधि, ९.वैयावृत्यकरण, १०.अर्हत्भक्ति,११.आचार्य भक्ति,१२. बहुश्रुतभक्ति, १३. प्रवचन भक्ति, १४. आवश्यक अपरिहाणि, १५. मार्ग प्रभावना, १६. प्रवचन वत्सलत्व। आचार्य एवं उपाध्याय पूजा का यंत्रदश विधि धर्म - १. उत्तम क्षमा, २. उत्तम मार्दव, ३. उत्तम आर्जव, ४. उत्तम सत्य, ५. उत्तम शौच, ६. उत्तम संयम,७. उत्तम तप, ८. उत्तम त्याग, ९. उत्तम आकिंचन्य १०. उत्तम ब्रह्मचर्य । साधु पूजा का यंत्र(अ) सम्यग्दर्शन के ८ अंग - १. नि:शंकित, २. नि:कांक्षित, ३. निर्विचिकित्सा, ४. अमूढ़ दृष्टि, ५. उपगूहन, ६. स्थितिकरण,७. वात्सल्य, ८. प्रभावना। (ब) सम्यग्ज्ञान के ८ अंग - १. व्यंजनोर्जिताय नमः, २. अर्थसमग्राय नमः, ३. शब्दार्थ भावपुण्याय नमः, ४. कालाध्ययनसमग्राय नमः, ५. बहुमानसमग्रायनमः, ६. उपधानसमग्रायनमः, ७. वीर्याध्ययनसमग्रायनमः, ८. विनयेन मुदिताय नमः। (स) तेरह प्रकार चारित्र का यंत्र - ५ महाव्रत - १. अहिंसा महाव्रत, २. सत्य महाव्रत, ३. अचौर्य महाव्रत, ४. ब्रह्मचर्य महाव्रत, ५. परिग्रह त्याग महाव्रत। ३ गुप्ति - १. मनोगुप्ति, २. वचनगुप्ति, ३. काय गुप्ति। ५ समिति - १. ईर्या समिति, २. भाषा समिति, ३. एषणा समिति, ४. आदान निक्षेपण समिति, ५. प्रतिष्ठापना समिति। (इस प्रकार ७५ गुण) ७ तत्व - १. जीव तत्त्व, २. अजीव तत्त्व, ३. आस्रव तत्त्व, ४. बन्ध तत्त्व, ५. संवर तत्त्व, ६. निर्जरा तत्त्व ७.मोक्ष तत्त्व। ९ पदार्थ - १. जीव पदार्थ, २. अजीव पदार्थ, ३. पुण्य पदार्थ, ४.पाप पदार्थ, ५. आस्रव पदार्थ, ६. बंध पदार्थ, ७. संवर पदार्थ, ८. निर्जरा पदार्थ, ९. मोक्ष पदार्थ। ६ द्रव्य- १.जीव द्रव्य, २. पुद्गल द्रव्य, ३. धर्म द्रव्य, ४. अधर्म द्रव्य, ५. आकाश द्रव्य, ६. काल द्रव्य। ५पंचास्तिकाय -१. जीवास्तिकाय, २. अजीवास्तिकाय, ३. धर्मास्तिकाय, ४. अधर्मास्तिकाय, ५. आकाशास्तिकाय। ६सम्यक्त्व-१.मूल सम्यक्त्व,२.आज्ञा सम्यक्त्व, ३. वेदक सम्यक्त्व,४. उपशम सम्यक्त्व,५.क्षायिक सम्यक्त्व, ६.शुद्ध सम्यक्त्व।

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