Book Title: Mandir Vidhi
Author(s): Basant Bramhachari
Publisher: Akhil Bharatiya Taran Taran Jain Samaj

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Page 123
________________ १२३ भजन - १३ खबर नहीं जा जग में पल की। सुकरत करना होय सो कर लो.को जाने कल की। तारामंडल रवी चन्द्रमा सब ही चलाचल की। विनस जात जाहे बार न लागे बीजुलिया चमकी... आतम बस्ती है दिन दश की काया मन्दिर की। स्वांस उस्वांस सुमरले चेतन आयु घटे तन की... झूठ कपट कर माया जोडी कर बातें छल की। पाप की मोंठ धरी सिर ऊपर क्यों होवे हलकी... या देही तेरी भस्म होयगी क्यों चन्दन चरची । सत्गुरु की तूने सीख न मानी विनती आत्मबल की... भजन - १४ समझ समझ मन बावरे आतम देव हमारा हो । आतम साहब एक है, दुविधा कछु नाहीं हो ॥ समझ... झिलमिल झिलमिल होत है, चिंतामन रूपहो। समझ... इंगला पिंगला सुष्मना इनकी सुरतजगा ले हो।। समझ... तारण गुरु उपदेश को अब दास खुशाला हो। समझ... भजन - १५ मैं तो आयो आयो आयो हो, अपने देव जू को वंदवे ॥ आकाश लोक से इन्द्र जो आये। ऐरावत सज लाये हो, सज लाये हो ॥ अपने देव जू को.... पाताल लोक से फणिन्द्र जु आये। फण पर नृत्य कराये हो, कराये हो ॥ अपने देव जू को.... मध्य लोक से चक्रवर्ती आये। चँवर सिंहासन लाये हो, लाये हो ॥ अपने देव जू को.... दसहुँ दिशा से दिग्पाल जो आये। आनन्द उमंग बढ़ाये हो, बढ़ाये हो || अपने देव जू को.... राजगृही से राजा श्रेणिक आये। मनवांछित फल पाये हो, पाये हो ॥ अपने देव जू को....

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