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ग्यारह नमस्कार
१ - देव को नमस्कार
तत्वं च नन्द आनन्द मऊ, चेयननन्द सहाउ । परम तत्व पद विंद पउ नमियो सिद्ध सुभाउ ॥ २ - गुरु को नमस्कार
गुरु उवएसिड गुपित रुइ गुपित न्यान सहकार । तारन तरन समर्थ मुनि, गुरु संसार निवार || ३ - धर्म को नमस्कार
धम्मु जु उत्तउ जिनवरहं, अर्थतिअर्थह जोउ । भय विनासु भवुजु मुनहु, ममल न्यान परलोउ । ४ - श्री मालारोहण जी को नमस्कार
उकार वेदंति सुद्धात्म तत्त्वं प्रनमामि नित्यं तत्वार्थ सार्धं । न्यानं मयं संमिक दर्सनेत्वं संमिक्त चरनं चैतन्य रूपं ॥
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५ श्री पंडित पूजा जी को नमस्कार उवकारस्य ऊर्धस्य, ऊर्ध सद्भाव सास्वतं । विंद स्थानेन तिस्टन्ते, न्यानं मयं सास्वतं धुवं ॥ ६ - श्री कमल बत्तीसी जी को नमस्कार तत्वं च परम तत्वं, परमप्पा परम भाव दरसीये । परम जिनं परमिस्टी नमामिहं परम देवदेवस्य ॥ ७ - श्री श्रावकाचार जी को नमस्कार
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देव देवं नमस्कृतं लोकालोक प्रकासकं । त्रिलोकं भुवनार्थं जोति, उवंकारं च विन्दते ॥ ८ श्री ज्ञानसमुच्चयसार जी को नमस्कार परमानंद परं जोतिः, चिदानंद जिनात्मनं । सुयं रूपं समं सुद्धं, विन्दस्थाने नमस्कृतं ॥ ९ - श्री उपदेश शुद्ध सार जी को नमस्कार अप्पानं सुद्धप्पानं, परमप्पा विमल निम्मलं सरूवं । सिद्ध सरूवं पिच्छदि नमामिहं परम देवदेवस्य ॥ १० - श्री त्रिभंगीसार जी को नमस्कार नमस्कृतं महावीरं भवोद्भय विनासनं । त्रिभंगी दलं प्रोक्तं च, आस्रव निरोध कारनं ॥
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