Book Title: Mandir Vidhi
Author(s): Basant Bramhachari
Publisher: Akhil Bharatiya Taran Taran Jain Samaj

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Page 20
________________ २० तत्काल रमनु जिन उत्तु जं तारागन अवयास, ॥ ८ जिन उत्तु रे, दिप्ति दिस्टि जिन रमन पौ । अवयास रे, दिस्टि दिप्ति दिस्टि दिप्ति सुइ रमन मी नंत दिप्ति सुइ उत्तु सुइ उत्तु रे, ऐय दिप्ति नंत छन्न मौ | तं इस्ट दिप्ति सुइ नंतु, सुइ नंतु रे, उव उवन दिप्ति नंत छन्न मौ ॥ ९ ॥ जं तारा चंद्र दिपिनंतु, दिपिनंतु रे, रतिहि सहावे दिप्ति मौ " । जं सूर दिप्ति दिपिनंतु, दिपिनंतु रे, तार चन्द्र नंत छन्न सुई ॥ १० ॥ दिप्ति नंत दिपिनंतु, दिपिनंतु रे, रयन दिप्ति सुइ छन्न मौ I । । तं इस्ट दिप्ति दिपिनंतु, दिपिनंतु रे, दिप्ति चिंतामनि उवन मौ ॥ ११ ॥ जं नंत दिप्ति फल उत्तु, फल उत्तु रे, उवन रमन दिपि अमिय फलु तं नंत पयह संसारू, संसारू रे, उवन पयह जिनु मुक्ति पौ ॥ १२ ॥ तत्काल रमन सुइ उत्तु, सुइ उत्तु रे, जं सूर दिप्ति रति विलय मौ । कमल नंद पिउ उत्तु पिउ उत्तु रे, दिस्टि दिप्ति सुइ रमन मौ ॥ १३ ॥ सहकार रमन सुइ उत्तु सुइ उत्तु रे, दिप्ति सहावे दिस्टि जिनु उवन दिप्ति दिपियंतु, दिपियंतु रे, समय दिस्टि रमि मुक्ति पौ ॥१४ ॥ दिप्ति दिपिय सुइ नंतु, सुइ नंतु रे, ऐय दिस्टि सुइ सम रमनु । तं समय दिप्ति सुइ नंतु, सुइ नंतु रे, उवन दिस्टि सम मुक्ति पौ ॥ १५ ॥ सब्द नंत सुइ उत्तु, सुइ उत्तु रे, अवयास सब्द सुइ नंत मौ । तं समय सब्द पिउ नंतु, पिउ नंतु रे, उव उवन सब्द पिउ मुक्ति पौ ॥ १६ ॥ साह रमनु सुइ उत्तु, सुइ उत्तु रे, आद सहावे उवनु उवनु । तं असम समय सहनंतु, सहनंतु रे, उवन साह सम मुक्ति पौ ॥ १७ ॥ विलय पौ । उवन अर्क बिनु उवन उवन बिनु सरनि पौ ॥ १८ ॥ अर्क समय सुइ विलसियाँ । जं अर्क नंत सुइ उत्तु सुइ उत्तु रे, तं असम समय सुइ नंतु, सुइ नंतु रे, जं उवन अर्क अवयास, अवयास रे, तं उवन कमल अवयास, अवयास रे, जं अर्क समय सम उत्तु, सम उत्तु रे, जं चरन चरन सुइ उत्तु सुइ उत्तु रे, तं उवन कलन सम मुक्ति पौ ॥ २० ॥ जं चरन कलन कलयंतु, कलयंतु रे, कर्न समय सम मुक्ति पौ ॥ १९ ॥ कलन कलिय सुइ उवन पौ । " कलन कमल उव उवन पौ । , उव उवन कर्नु साहंतु, साहंतु रे सुवन कमल सम मुक्ति पौ ॥ २१ ॥ जं तारन तरन उवन्नु, उवन्नु रे, उवन समय सम पिऊ रमनु । तं उवन कमल कलयंतु, कलयंतु रे, उवन दिप्ति दिस्टि मुक्ति पौ ॥ २२ ॥ जं उवन श्रेनि जिन श्रेनि जिन श्रेनि रे, कलन सहावे कलन मौ । जं तारन तरन जिनुत्तु जिनुत्तु रे, तार कमल सम मुक्ति पौ ॥ २३ ॥ = ||

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