Book Title: Mandir Vidhi
Author(s): Basant Bramhachari
Publisher: Akhil Bharatiya Taran Taran Jain Samaj
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२३
न्यानीय न्यान उववन्न अगम जिन जिनय जिनेंद स सेहरौ । तं गम्य अगम्य अगम्य उवन्नु जिनय जिन सेहरौ ॥ तं गमियौ नन्तानन्तु ममल जिन सेहरौ । भय षिपनिक नन्द अनन्द चेयनन्द सेहरौ ॥ तं अमिय रमन रस रसिय सहज जिन सेहरौ ॥ २ ॥ जिनवर उत्तउ जिनय जिनेन्द जिनय जिन नन्द मऊ । तं लब्धि अलब्धि सलब्धि जिनय जिन जिनय सनंद पऊ || तं न्यान स न्यान सु न्यान विन्यान ममल रस सुष्य रऊ । न्यानीय सुयं सुववन्न जिनय जिन जिनय जिनंद स सेहरौ ॥ गमऊ गम्य अगम्य उवनु जिनु जिनय जिन सेहरौ ॥ ३ ॥
॥ आचरी॥ तं न्यान लब्धि सुइ लब्धि सुयं, सुव सुवन सुयं जिन न्यान पऊ । तं दर्सिउ नन्तानन्तु सहज जिन, लब्धि अलब्धि सुलब्धि मऊ ॥ तं दान सु दान सु न्यान सुयं, जिन जिनय जिनय जिनेद रऊ । न्यानीय निलय तं निलय निलय, जिन जिनय जिनेद स सेहरौ ॥ ४ ॥
॥ गमऊ गम || तंलब्धि अलब्धि सु लब्धि लब्धि जिन,जिनय जिनेंद सनन्द सनन्द सनन्द मऊ। तं भोय सु भोय अभोय भोय गुन, जिनय जिनेंद सनन्द सनन्द पऊ ॥ उवभोय सुभोय अभोय भोग रै, नन्द सनन्द जिन सेहरौ । न्यानीय सुनीय सुनीय सुयं, सुई सहज जिनेंद स सेहरौ ॥ ५ ॥
|| गमऊ गम ॥ नन्त वीय सुइ लब्धि सु लब्धि, सुयं सुव वीय सु नंतानन्त पऊ । सम्मत्त सम्मत्त स उत्तु सु समय, सुयं जिन जिनय जिनेंद पऊ ॥ तं चरनह चरिय चरंतु, चरन जिन जिनय जिनेंद रऊ । न्यानीय सु निलय जिनेन्द, जिनय जिन सहज जिनेन्द स सेहरौ ॥ ६ ॥
|| गमऊ गम. ॥ नो लब्धि उन उन सु, उवन उवन सु जिनय पऊ । तं लब्धि अनन्तानन्त सहज रुई, सहज जिनेन्द सनन्द पऊ ॥ सुइ नन्द सनन्द अनन्द सु नन्द, सु चेयननन्द सु समय मऊ । न्यानीय सु न्यान अनन्त ममल, जिन जिनय जिनेन्द स सेहरौ ॥ ७ ॥
॥ गमऊ गम. ॥ संजम सुइ संजमु सुवन सुवन, सुव संजम समय सु सुद्ध पऊ । संजम संजम सुनहु सुयं सुइ, सुद्ध स सुद्ध सु समय मऊ ॥

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