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योगासन और स्वास्थ्य ८९
कायक्लेश का अर्थ
आसन के संदर्भ में कायक्लेश शब्द का प्रयोग मिलता है । प्रश्न है-कायक्लेश का अर्थ क्या है ? इस शब्द का अर्थ भी सम्यक् नहीं पकड़ा गया । कायक्लेश का अर्थ समझते हैं शरीर को सताना । वस्तुतः इसका अर्थ शरीर को सताना नहीं है । इसका अर्थ है-शरीर को बाधित करना, शरीर को साध लेना। शरीर को इतना साध लेना कि दस दिन भी खड़ा रहना पड़े तो कोई कठिनाई न हो । दस दिन लेटे-लेटे कायोत्सर्ग करना हो तो कोई कठिनाई न हो । अनेक दिन एक आसन में बैठे रहें तो भी कोई कठिनाई न हो | शरीर को इतना साध लेना, स्नायुओं को इतना लचीला बना लेना, स्नायुतंत्र के साथ जुड़ी मांसपेशियों और पेशियों में इतना संतुलन साध लेना कि शरीर कहीं कोई बाधा न डाले ।
अंतःस्रावी ग्रंथि और आसन
आसन के साथ अन्तःस्रावी ग्रन्थियों का भी गहरा संबंध है । अन्तःस्रावी ग्रन्थियों का कार्य जितना अच्छा होता है, आदमी उतना ही स्वस्थ रहता है। हमारे सामने केवल शारीरिक स्वास्थ्य का ही प्रश्न नहीं है, मानसिक और भावात्मक स्वास्थ्य का प्रश्न भी है | अंतःस्रावी ग्रन्थियों का संतुलन ठीक रहता है तो मन भी स्वस्थ रहता है, भावनाएं भी स्वस्थ रहती हैं । शरीर तो स्वस्थ रहता ही है। एक ग्रन्थि है थायराइड | यहां से बोली-चाली की सारी क्रिया होती है, चयापचय की क्रिया होती है । स्वास्थ्य के साथ इस ग्रन्थि का बहुत संबंध है । अनेक लोग थायराइड की समस्या से ग्रस्त रहते हैं । यह द्वंद्व अनेक व्यक्ति भोगते हैं । किसी व्यक्ति का थायराइड ग्लेण्ड एक्टिव ज्यादा है, किसी व्यक्ति का थायराइड ग्लैण्ड अन-एक्टिव ज्यादा है । यदि सर्वांगासन का विधिवत् प्रयोग किया जाए तो इस समस्या का समाधान हो सकता है। प्रेक्षाध्यान के शिविरों में अनेक व्यक्तियों को यह प्रयोग कराया गया, थायराइड की समस्या समाहित हो गई । कुछ वर्ष पहले की घटना है । अहमदाबाद में प्रेक्षाध्यान का शिविर चल रहा था । एक महिला ने कहा- महाराज ! थायराइड का स्राव संतुलित और नियमित नहीं है । मैंने बहुत चिकित्सा करा ली पर कोई समाधान नहीं हुआ । उसे शिविर में कुछ प्रयोग कराए गए ।
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