Book Title: Mahavira ka Swasthyashastra
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 137
________________ अनुप्रेक्षा और स्वास्थ्य १२३ का प्रत्येक अवयव आपकी चाह को साकार करेगा । चाहे आप हाथ को सुझाव दें - यह काम नहीं करना है और यह काम करना है | लम्बे समय तक यह सुझाव देते रहें, हाथ आपकी बात को स्वीकार कर लेगा । जो ज्ञान तंतु हैं, वे हमारी बात को पकड़ते हैं । अपेक्षा यह है— हम मृदु व्यवहार करना सीखें, ऐसा सुझाव देना सीखें, जिससे समस्या का समाधान हो जाए । परिर्वतन की इस कला को जो समझ लेता है, उसे अनुप्रेक्षा का रहस्य हृदयंगम हो जाता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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