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१५६ महावीर का स्वास्थ्य-शास्त्र
जीवन जी सकता है । हम अमरता की बात न सोचें । जाना निश्चित है किन्तु किस रूप में जाना है, यह हमारे जीवन-क्रम पर निर्भर है | यदि आहार का संयम है, संवेगों पर नियंत्रण है तो बुढ़ापा और मृत्यु-दोनों सुखद हो सकते
वस्तुतः शिशु और वृद्ध स्वास्थ्य के ये सूत्र बहुत महत्वपूर्ण हैं । यदि इन सूत्रों के प्रति जागरूक रहें तो विश्वास है कि बचपन ऐसा होगा, जो भविष्य के लिए सुखद बनेगा, भविष्य में सुख-दुःख की अनुभूति तीव्र नहीं बनेगी । बचपन में सुख-दुःख का अनुभूति तीव्र नहीं होती, उसकी तीव्रता आगे होती है । शिशु-स्वास्थ्य की उपलब्धि का अर्थ है- सुखद भविष्य का आश्वासन । वृद्ध आदमी अपना जीवन ठीक चलाए तो वृद्धावस्था के कारण आने वाली मानसिक और भावात्मक समस्याओं से बचाव होगा, शरीर भी स्वस्थ रहेगा । स्वस्थ और शान्तिपूर्ण वृद्धावस्था ही जीवन के लिए वरदान बन सकती है ।
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