Book Title: Mahavira ka Swasthyashastra
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 179
________________ पंच निसिज्जाओ पण्णत्ताओ, तं जहा उक्कुडुया, गोदोहिया, समपायपुता, पलियंका, अहपलियंका । (ठाणं ५/५१) प्रेक्षाध्यान और स्वास्थ्य सत्तविहे कायकिलेसे पण्णत्ते, तं जहाठाणातिए, उक्कुडुयासणिए, पड़िमट्ठाई, वीरासणिए, णेसज्जिए, दंडायतिए, लगंडसाई । ( ठाणं ७ / ४९) कायोत्सर्ग और स्वास्थ्य आगम - संदर्भ १६५ चत्तारि झाणा पणत्ता, तं जहा अट्टे झाणे, रोंद्दे झाणे, धम्मे झाणे, सुक्के झाणे । धम्मे झाणे चउव्विहे चउप्पड़ायारे पण्णत्ते, तं जहाआणा विजए, अवायविजए, विवाग विजए, संठाणविजए, जे कोहदंसी से माणदंसी, जे माणदंसी से मायदंसी । जे मायदंसी से लोभदंसी जे लोभदंसी से पेज्जदंसी । जे पेज्जदंसी से दोसदंसी, जे दोसदंसी से मोहदंसी । जे मोहदंसी से गब्भदंसी, जे गब्भदंसी से जम्मदंसी । जे जम्मदंसी से मारदंसी, जे मारदंसी से निरयदंसी । जे निरयदंसी से तिरियदंसी, जे तिरियदंसी से दुक्खदंसी । (आयारो ३/८३) देह मइ जड्ड सुद्धी, सुहदुक्खतितिक्खिया अणुप्पेहा । झाय य सुहं झाणं, एगग्गो काउस्सग्गम्मि || Jain Education International पडिक्कमित्तु निस्सलो वदित्ताण तओ गुरुं । काउस्सग्गं तओ कुज्जा, सव्वदुक्खविमोक्खणं ।। ( आवश्यक निर्युक्ति १४७६) For Private & Personal Use Only ( उत्तरज्झयणाणि २७ / ४९) "www.jainelibrary.org

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