Book Title: Mahavira ka Swasthyashastra
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 145
________________ भाव, तनाव और लेश्या यह भाव और लेश्या का संबंध है । किस लेश्या में कौन सा भाव पैदा होता है । इसकी सुंदर मीमांसा उत्तराध्ययन सूत्र में उपलब्ध है । भाव और लेश्या के संबंध को इस तालिका से भी समझा जा सकता है लेश्या भाव नृशंसता, हिंसा, अजितेन्द्रियता ईर्ष्या, आसक्ति मात्सर्य लेश्याध्यान और स्वास्थ्य १३१ कृष्ण नील माया, कापोत तैजस मृदुता विनय, प्रतनु कषाय पद्म उपशांत कषाय शुक्ल प्रश्न है- लेश्या और भाव स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करते हैं ? जब हिंसा, चोरी आदि के भाव जागते हैं तब एक प्रकार का तनाव पैदा करते हैं । वह तनाव व्यक्ति को रोगी बनाता है, बीमारी पैदा करता है । भावनाओं से जो तनाव होगा, वह स्नायविक तनाव बन जाएगा, नाड़ीतंत्रीय तनाव बन जाएगा । यह तनाव उस अवयव को विकृत बनाता है, पूरे शरीर को भी रोगी बना देता है । हम स्वास्थ्य की मीमांसा करें तो इस बात पर अवश्य ध्यान दें कि हमारी भावधारा कैसी रहती है ? भावधारा मलिन रहे और हम स्वस्थ रहना चाहें, यह संभव नहीं है । यह लेश्या - सिद्धांत के सर्वथा प्रतिकूल बात है । जिसमें स्वस्थ रहने की कामना है, उसे इस बात पर ध्यान देना होगा कि आर्त्तध्यान कितना होता है, रौद्रध्यान कितना होता है । यदि आर्त्त और रौद्र ध्यान होता है तो हमारी भावनाएं प्रभावित होंगी । भावना मन को प्रभावित करेगी, मन शरीर को प्रभावित करेगा और कोई न कोई जटिल मनोकायिक बीमारी पैदा हो जाएगी । भावधारा की पवित्रता और लेश्या की विशुद्धि ही जटिल समस्याओं से मुक्ति दिला सकती है । Jain Education International रंग का संतुलन लेश्या के रंग सहज स्वाभाविक होते हैं। विटामिन्स दो प्रकार के होते हैं । एक वे हैं, जो सिन्थेटिक्स अथवा रासायनिक मिश्रण से बनते हैं । एक For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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