Book Title: Mahavira Meri Drushti me
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Jivan Jagruti Andolan Prakashan Mumbai

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Page 14
________________ ( * ) तीर्थकरों का जन्म लेना, तीर्थङ्करों की श्रृंखला में चौबीस व्यक्तियों का होना, उसके कारण, श्रृङ्खला बन्द करने में अनुयायियों का हाथ, पश्चिम में फकीरों की श्रृङ्खला, मुहम्मद के बाद मुसलमान फकीर, रहस्यवादी सूफियों के सम्बन्ध में, साधना पद्धतियों के विभिन्न प्रयोगों में लक्ष्य की एकता, पशुहिंसा के विषय में समझौता अमान्य, वनस्पति जीवन और पशु जीवन में अन्तर शाकाहारी ओर अशाकाहारी व्यक्तियों को करुणा में अन्तर । १६. प्रश्नोतर - प्रवचन : जगत् अनादि और अनन्त, जड़ और चेतन एक हो वस्तु के दो रूप, सृष्टि के आदि को जानना असम्भव, जीवन की प्रतिकूल परिस्थितियों में महावीर की मानसिक स्थिति का विश्लेषण, महावीर की अहिंसा में स्थिरता । १७. प्रश्नोतर - प्रवचन : ४६-५२३ मुक्त आत्मा का पुनरागमन, आवागमन से छूटने के उपाय । १६. प्रश्नोतर - प्रवचन : अकेले की खोज अकेले के प्रति, कहानियाँ ऐतिहासिक नहीं, सत्य की खोज में विधि की असमर्थता, अनेकान्तवाद | २०. प्रश्नोत्तर - प्रवचन : एकांतवाद उपयोगी नहीं, सुरक्षा असुरक्षा की मीमांसा, साजों में अहंकार | ५२५-५६० महावीर की अहिंसा को समझने में कठिनाई, महाबीर के सिद्धान्तों का प्रयोगात्मक रूप, महावीर की साधुता और दूसरों को साधु बनने का उपदेश, महावीर के संघ में साध्वी संघ, महावीर के जीवन का विश्लेषण और समाज, समाज को स्थिति और नए समाज का निर्माण, राग-विराग, द्वेष-घृणा आदि द्वन्द्वों से मुक्त, ध्यान की भूमिका, निगोद की व्याख्या, निगोद से मोल तक । १८. प्रश्नोत्तर- प्रवचन : ५६१-४६३ ५८५-६०० ६०१-६१३

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