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* जन्म *
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प्रकरण तीसरा
जन्म
( समय की स्थिति )
जिस समय हिंसाकाण्डने प्रकाण्ड रूप धारण कर रक्खा था, वेद धर्म के अनुयायी ऐहिक और पारलोकिक सुख के लिए यज्ञ का उपदेश करते थे, यज्ञ रचाते थे और यज्ञ में असंख्य पशुओं का होम करते थे, यहाँ तक कि कभी नरमेध की भी योजना होती थी; इस तरह बेचारे निरपराधी जीव मौत के घाट उतार दिये जाते थे, सारे देश में हिंसा ( Violence ) का दौर दौरा था और जिस समय वर्णाश्रम के जुल्म से अन्त्यज लोग कुचले जारहे थे; एवं जिस समय बराबरी का हक़दार नारी- समाज पैरों की जूती गिना जाता था; उस समय इस भारत भूमि पर करीब २५३० पच्चीस सौ तीस वर्ष पहिले एक प्रौढ प्रतापी महा प्रभावशाली समान भावी “भगवान् महावीर " का जन्म हुआ था.
जिस वक्त सातों ही ग्रह उच्चस्थान में प्राप्त थे यानी मेष लग्न के दसांश में सूर्य था, वृष लग्न के तृतीयांश में
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