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* दीक्षा *
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र्थना की- आपके तो बहुत स्थान हैं , मैं कहाँ जाऊं? अप्रीति जानकर भगवन्त अन्यत्र विहार कर गये.
२-दसरा चतुर्मास भगवन्त ने राजगृह नगरी के नालन्दे पाड़े में तूणकार की शाला में किया. यहाँ गौशाला भगवान् की सेवा में आया.
३-तीसरा वर्षाकाल परमात्मा चम्पा नगरी में विगजे. गौशालक ने पूर्व वार्णित तूफान किया.
४-चौथा चौमासा महावीर देव पृष्टचम्पा में विराजे, वहाँ जिर्ण सेठ के प्रतिदिन भावपूर्ण निमन्त्रण करने पर भी प्रभु ने पूर्ण सेठ के यहाँ पारणा किया.
५- पांचवाँ चतुर्मास भद्रिका नगरी में विराजे.
६-छट्ठा चतुर्मास अलंभिका नगरी के देवकुल में निवास किया, यहाँ भी गौशालक ने पूर्ववर्णित उपद्रव मचाया.
७- सातवाँ वर्षाकाल प्रभु भद्रिका नगरी में विराजे. आठ महिने तक स्वामी को कोई उपसर्ग नहीं हुवा.
भगवन्त का एक वक्त पुरिमताल नगर पधारना हुवा, एक उद्यान और. नगर के बीच में ध्यानस्थ रहे.
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