Book Title: Mahavir Jivan Prabha
Author(s): Anandsagar
Publisher: Anandsagar Gyanbhandar

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Page 159
________________ १४६ ] * महावीर जीवन प्रभा * उपरोक्त वर्णित सब के पीछे बढ़िया इतिहास है, जो अन्य स्थल से जानना चाहिए; इनके अतिरिक्त अनेक महा पुरुषों की महत्वपूर्ण दीक्षाएँ हुई हैं; जिनका बयान स्थल संकोच के कारण नहीं किया गया. प्रकाश - उपर्युक्त महापुरुषों की दीक्षाएँ विवरण योग्य ( Remarkable ) हुई हैं; प्रत्येक में कुछ न कुछ विशेषता है - भगवान् महावीर की और उनके शासन की यह विशिष्टता है कि धर्म के दायरे में हर एक कौम रह सकती है, जाति बंधन और समाज- बंधन से धर्म मुक्त रहता है; जैसे सरीता के तीर पर सब जातियाँ एक साथ जल पान करसकती हैं, वैसे ही एक साथ धर्माचरण भी करसकतीं हैं. हिन्दु धर्म ने अन्त्यज जातियों के साथ इतना घोर अन्याय किया है कि उनका यह काला कलंक मिट नहीं सकता, जैन लोग भी अपने मन्तव्य को छोड़ कर उनमें शामिल होगए हैं, इनशानियत की महत्ता का जिस को पता नहीं है और मोक्ष तत्व का जिस को ज्ञान नहीं है, वही समता भाव से वञ्चित रह कर अपना अहित करता है. आप जरा आँखें मूँद कर शान्ति से विचार करेंगे तो यह जात-पान्त का ढकोसला आप के हृदय से हट जायग और मनुष्यत्व प्राप्त हो जायगा. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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