Book Title: Mahavir Jivan Prabha
Author(s): Anandsagar
Publisher: Anandsagar Gyanbhandar

View full book text
Previous | Next

Page 164
________________ * अवशेष * [१५१ ३. प्रभव स्वामी- तृतीय पटोधर, अवनत दशा से उन्नत अवस्था में पहुँचे. ____४. शयंभव सूरि-दशवकालिक के कर्ता, मनक के पिता, चौदह पूर्वधारी, चौथे पटोधर. ___५. यशो भद्रसूरि-पाँचवें पटधर बड़े ज्ञानी-ध्यानीत्यागी. . ६. भद्रबाहु स्वामी-अन्तिम श्रुतकेवली, चौदह पूर्वधर. ७. स्थूलिभद्र स्वामी-कामदेव के पूर्ण विजेता, कोशा वेश्या के प्रतिबोधक, दसपूर्वधारी. ८. सिद्धसेन दिवाकर-प्रकाण्ड नैयायिक, तीर्थोद्धारक, अनेक ग्रन्थ प्रणेता. ९. देवर्द्धि क्षमाक्षमण-लिपिबद्ध आगम के कर्ता, एक पूर्वधारी, महाज्ञानी, शासन के स्तम्भ. १०. हरिभद्रसूरि-बुद्ध धर्म के दान्त खट्टे करने वाले, १४४४ प्रकरणों के रचयिता, याकनी पुत्र, प्रकाण्ड विद्वान. ११. रत्न प्रभसूरि-ओसवंश के आध स्थापक, बहुकाय लधिधारक. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180