Book Title: Mahavir Jivan Prabha
Author(s): Anandsagar
Publisher: Anandsagar Gyanbhandar

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Page 157
________________ १४४] *महावीर जीवन प्रभा * गया-बहुत अधिक मुनि महावीर देव की शरण में चले गए और कितनेक कुरचट्ट वाड़ाबन्दी के गुलाम और यशःकीर्ति के पिपासु उस ही मिथ्या-शासन में रहे; गृहस्थों में से भी अधिकतरों ने भगवान् का शरण लेलिया था. प्रकाश-गौशालक जैसे अफन्डी और अहंभावी का इस ऊच्चश्रेणि में पहुँचना, महावीर मलयागिरी चन्दन के संसर्ग का ही प्रताप है, पर यह मानना होगा कि जीव उत्तम था, विगधक भाव से आराधक भाव में आकर यह साबित करदिया कि अहंकारी भी नम्रभावी होसकता है और निन्दक प्रशंसक बन सकता है ! क्या आप भी हाथी पर से उतर कर प्राकुत सुखमय पैर पेदल मुगाफिरी करना सीखेंगे ? कि मदमस्त ही बने रहकर अन्धाधुंधी चलाय करेंगे ? नहीं नहीं ! ऐसा कभी न करें ! इनसानियत ( Humanity ) रख कर सोचेंगे तो प्रकाश नजर आने लगेगा; इससे आप अपना हित कर सकेंगे. (महत्व पूर्ण दीक्षाएँ) भगवान् महावीर के विद्यमानी में अनेक महत्त्वपूर्ण दीक्षाएँ हुई, जिन की पवित्र जीवनी लिखने की यहाँ आवश्यकता नहीं है; पर बहुत थोड़े लोगों का संक्षिप्त परिचय करा देने की हमारी भावना है. वह इस प्रकार है: Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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