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* महावीर जीवन प्रभा *
वहाँ वग्गुरी सेठ और उसकी भार्या ने पुत्र के लिये कीहुई मन्नत के अनुसार मल्लीनाथ स्वामी का एक नूतन जिन मन्दिर बनवाया था, वहाँ नित्य पूजा करते थे, एक दफा वे पूजन करने जारहे थे उस वक्त भगवान् बीच में ही कायोत्सर्ग में खड़े थे; भगवन्त की महिमा बढ़ाने इन्द्र ने आकर सेठयुगल को कहा- जिनकी पूजा करने तुम जा रहे हो, वे प्रत्यक्ष ही यहाँ उपस्थित हैं, सुनते ही युगल उनके चरणों में झुक गया और भगवन्त की शुद्ध भाव से पूजा की ; बाद मल्लीनाथ के बिंब का पूजन किया. - ८-आठवाँ चौमासा पूज्यप्रवर राजगृही नगरी में विराजे.
९- नवाँ चतुर्मास जगन्नाथ अनार्य देश में स्थिरता की, वहाँ अनेक कष्ट सहनं किये .
१०-दसवाँ वर्षाकाल प्रभु सावत्थी नगरी में विराजे यहाँ गोशालक ने तेजोलेश्या सिद्ध की.
११- ग्यारहवाँ चतुर्मास महावीर देव विशाला नगरी में विराजे, उसके बाद चमरेन्द्र का सुसुमार पुर में उत्पात हुवा, जिसका वर्णन कल्पसूत्र में अंकित है- इन्ही दिनों में पौष कृष्णा प्रतिपदा के दिन भगवन्त ने पूर्व
लिखित विलक्षण अभिग्रह धारण किया था. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com