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* महावीर जीवन प्रभा *
ॐ प्रकरण छड्डकाँ
मोक्ष
( इन्द्र की प्रार्थना)
परमात्मा के मोक्ष पधारने के समय इन्द्र ने प्रार्थना की- हे प्रभो ! आप की जन्मराशी पर २००० दो हजार वर्ष का भस्म ग्रह लगने वाला है, इसलिए आप सिर्फ दो घड़ी आयुष्य बढ़ाओ, जिससे वह दुष्ट ग्रह आप की तेजोमय दृष्टि से निर्बल हो जायगा- जहाँ तक भस्मग्रह रहता है वहाँ तक धर्म की उन्नति नहीं हो सकती और साधुसाध्वी का सत्कार--सम्मान नहीं होता- प्रभु ने प्रतिवचन में फरमाया "इन्दा ! नेयं भूयं-नेयं भवइ-नेयं भविस्सइ" हे इन्द्र ! ऐसा हुवा नहीं, होता नहीं और होगा नहीं; अर्थात् तीर्थकर अत्यन्त विशिष्ट कारण की उपस्थिति में भी आयुष्य घटाना-बढ़ाना नहीं चाहते; इसलिए ऐसा नहीं किया जासकता; बनने योग्य बनता ही रहता है. भगवान् ने यहाँ फरमाया
घड़ी न लब्भइ अग्गली । इंदइ अक्खई वीर ॥ इम जाणी जिउ धम्म करी । जालग वहइ सरीर ॥१॥
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