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* महावीर जीवन प्रभा*
किया, उस वक्त भूपेन्द्र ने यह घोषणा की- अहो सर्व सभ्यो ! जब से यह पुत्र-रत्न गर्भ में था, तब से हम धन से, धान्य से, राज्य से, मान से, सम्मान से , बहुमान से, और इजत-आवरू से हर तरह अतिशय बढे हैं; इसलिये हमारा पूर्व निर्णित इस पुत्र का नाम "वर्धमानकुमार" स्थापन करते हैं, आप सब लोग इसमें सहमत हों; समस्त लोगों ने जयनाद के साथ अपनी सम्मति प्रकट की.
प्रकाश- माता-पिता ने गुणनिपन्न कितना बढिया नाम रक्खा है, जिसके स्मरण से प्रत्येक आदमी वृद्धि को प्राप्त होता है. यों तो रागद्वेष रहित होने से और घोर तपस्या करने से भगवान् श्रमण' नाम से भी पुकारे जाते थे; इधर भय-भैरव से निर्भय तथा परिसह और उपसर्गों को सहन. करने में समर्थ, एवं सर्वतो भद्र प्रतिमा (तपश्चर्यापूर्ण एक कठिन अनुष्ठान ) के पालक होने से देवों ने आपका मुबारिक नाम "महावीर" जाहिर किया. यही नाम संसार में विशेष प्रख्यात है- भिखारी का नाम धनपाल , कण्डे बीनती का नाम लक्ष्मी, मूर्खा का नाम सरस्वती और रोगी का नाम तनसुख जैसा निरर्थक है, वैसा नाम कभी न रखना चाहिये, नाम में कुछ गुण
अवश्य होना चाहिए, सामान्यों को तो छोटा नाम रखकर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com