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* दीक्षा *
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क्या आप कष्ट के समय और आराम की वक्त ममता को छोड़कर 'समता' का पाठ सीखेंगे ? कि अन्यों की तरह समता का उलटा ' तामस' पाठ पढ़ेंगे. स्वार्थ में गुल्तान बन क्या जिन्दगी भर जीवों को सताया करेंगे ! उनको हानि पहुँचाया करेंगे और क्या उनको 'तिमिंगल न्यायवत् ' निगला ही करेंगे ? इस आनार्थिक पंथ प्रवास से जरा ठहरो ! और महावीर जीवन से कुछ शिक्षा लो, उनकी तरह शत्रुओं के साथ मित्रवत् व्यवहार करो. वे महापुरुष थे उनकी बराबरी हम कहाँ से करसकें। ऐसा ना हिम्मती विचार कभी मत करो नर से ही नारायण बनता है' इस सिद्धान्त को अपनाओ. क्षमा का उज्ज्वल सबक किसी महात्मा से सीखो, उनकी सत्संग करो, खाली खोखले एशो-आराम में मौलिक मानव जीवन नष्ट मत करो. करो जो कुछ भी कर सकते हो, हिम्मत से करो, अवश्य सफलता मिलेगी.
( सामुद्रिक पण्डित का प्रसंग )
एक मर्तवा भगवान् गंगा के किनारे पर विहार कर रहे थे, वहाँ की कोमल बालु पर चरण कमल में अदित चन्द्र-ध्यज-अंकुशादि चिन्ह स्पष्ट दिखाई देते थे. उस वक्त पुष्प नामक सामुद्रिक शास्त्री उधर आनिकला,
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