Book Title: Mahavir 1934 01 to 12 and 1935 01 to 04
Author(s): Tarachand Dosi and Others
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
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में भी हुआ है। भाज एक तरह से वह स्वयम् ही अपनी पद्धति अधिक प्रमाण में फैला रही है। . डाक्टर मोन्टीसोरी एक असाधारण प्रतिभाशाली स्त्री है। डाक्टर तत्त्वेत्ता
और गणितशास्त्री के अलावा वह एक अद्भुत शिक्षा फैलाने वाली है । उममें स्वयं स्फुरणा, सुजन शक्ति और शोधक बुद्धि की कुदरती बक्षिश है । इनका व्यक्तित्व इतना अच्छा है कि उसकी छाप हर मनुष्य पर पड़ जाती है इसके सहवास में आये हुए मनुष्य चकित हो जाते हैं। वह सुरूप है, आकर्षक है, तथा उसकी वाणी मीठी है उसकी वाणी में स्वाभाविक सरलता है । उसकी असाधारण शक्ति की वजह से सारे संसार की स्त्री जाति को अभिमान लेने का कारण हो सकता है। दुनिया में ऐसी प्रभाविक स्त्रिएं बहुत कम होगी।
वह स्वयम् प्रवत्तिमय जीवन व्यतीत करती है किसी भी राज्य के शिक्षा विभाग की वह अधिकारी नहीं है । जाहिर जीवन का उसकी सीख नहीं है जब बाहरी की जरूरत नहीं मालूम होती तब वह एकान्त जीवन व्यतीत करती है और अपने कार्यों में मशगुल रह कर स्थिर चित्त से प्रयोग करती है । उद्योग की तो यह प्रतिमा है वह अंग्रेजी नहीं जानती है सिर्फ इटालीयन और फ्रॉन्म भाषा जानती है। फिर भी दुभाषिया के द्वारा वह अंग्रेजी जानने वालों को मुलाकात देती है और अंग्रेजी पत्र व्यवहार तरफ भी लक्ष देती है। बहुत सी बहिने उसके पास रहती हैं उसके सहवास और शिक्षा से शिक्षाशास्त्र में पारंगत होने का प्रयत्न करती हैं। ये बहिने डा. मोन्टीसोरी को शिक्षा का साक्षात् अवतार मानती हैं और गुरु करके पूजती हैं।
____ डाक्टर मोन्टीसोरी का ज्ञान अगाध है वह इतना अधिक है कि कहते २ जीवन पूरा हो जाय । बालकों के विषय में वह इतना अधिक जानती है कि कदापि वह जगत को और उसके साथ रहने वालों की यह मान्यता है कि पूर्ण ज्ञान बता भी नहीं सकेंगी। उसकी शक्ति का अपव्यय न हो उसके लिये उसकी शिष्या सदा उसको सम्हालती हैं, लोगों के त्रास से उसको बचाती है और उसके कार्य के बोझे पर अंकुश रखती हैं, उसके ऊपर जो अयोग्य टोकाएं होती हैं उसमें से उसको बचाकर उसकी शक्ति का विकास अविच्छिन्नता से बढ़े और संसार को उसका लाभ मिले उसके लिये उसका हृदय से खूब बचाव करती हैं।