Book Title: Mahavir 1934 01 to 12 and 1935 01 to 04
Author(s): Tarachand Dosi and Others
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
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वह निश्चय कर ले तो अपना 'अप-टू-डेट ' ( Up to date ) और प्रमाण भूत इतिहास तैयार करा सकता है। इस महाभारत कार्य के करने के लिये विपुल द्रव्य की आवश्यकता तो अनिवार्य है ही, किन्तु उसके लिये पुरुषाथ भी वैसा ही प्रबल होना चाहिये । हमारा खयाल ही नहीं बल्कि दृढ़ विश्वास है कि शेरवाल समाज अपनी इतिहास सांगोपांग स्वरूप में तैयार करा सकता है । आवश्यकता है केवल निश्चय या संकल्प की । सो संकल्प तो सम्मेलन के प्रथम अधिवेशन के अवसर पर ही किया जा चुका है। अब तो सिर्फ उसको कार्य रूप में परिणत करने की आवश्यकता है । हम आशा करते है कि अ० भा० पो० ० म० सम्मेलन की कार्य कारिणी समिति के समझदार एवं जाति हितैषी सदस्य गण अपने कर्तव्य का पालन कर जाति सेवा के महान श्रेय के भागी होंगे ।
'इतिहास प्रेमी'
साहित्य-समालोचना
लेखक - 'समालोचक'
नम्र निवेदन::- जयपुर के समस्त ओसवाल समाज की सेवा में सेठ चांदमलजी कोठारी ने विधवा विवाह के प्रश्न पर सम्मतियें एकत्रित करने व इस विषय में लोकमत जाग्रत करने के लिये यह छोटी सी पुस्तिका प्रकाशित की है। आधे हिस्से में लेखक ने अपनी दलीलें सामान्य भाषा में और बाकी के हिस्से में विधवा विवाह के प्रश्न पर वेदों और शास्त्रों के स्पष्ट प्रमाण दिये हैं । लेखक का प्रयास समयानुसार एवं समाज के लिये उपकारक है । आशा है जयपुरस्थ समाज राजपूताने में इस कार्य में अग्रसर होकर श्रेय भागी होगा । हम श्रीयुत कोठारीजी के इस प्रयास के लिये धन्यवाद देते है ।
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