Book Title: Mahavir 1934 01 to 12 and 1935 01 to 04
Author(s): Tarachand Dosi and Others
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
View full book text
________________
(१२५ )
आध घंटे तक इस चूर्ण को उबाल कर निकालें । इस गरम सत में कपड़े को आधे घण्टे भिगो कर निचोड़ कर धूप में सुखा डालें
लोहे का पानी १ सेर-पाव गैलन; पानी ३ ||| सेर- पौन गैलन
इसमें कपड़े को भिगो कर सुखा डालें। एक दिन बाद कपड़े को साफ पानी से धोना आवश्यक है ।
हर्रे का चूर्ण और लोहे के पानी की मात्रा को कम-ज्यादा करके इच्छानुसार कपड़े पर फीका या गाढ़ा रंग चढ़ाया जा सकता है। हर्रे के साथ थोड़ी सी (पाव तोला) गरान की छाल मिला देने से फावतई रंग बन जाता है ।
( १० ) फीका कत्थई पक्का:
कत्थे का चूर्ण २ छटांक - ४ आउन्स; पानी ५ सेर- १ गैलन
इसको आध घंटे तक उबाल कर सत तैयार करें। गरम सत में आध घंटे तक कपड़े को भिगो कर निचोड़ डालें ।
लाल कसीस या बाइक्रोमेट आधी छटांक - १ आउन्स; गरम पानी ५ सेर - १ गैलन
इसमें आध घंटे तक कपड़े को भिगो कर साफ पानी से धो डालें । (११) कत्थई रंग पक्काः
कत्थे का चूर्ण, ४ छटांक - ८ श्राउन्स; पानी ५ सेर-१ गेलन, आध घंटे तक उबालकर सत निकालें, फिर इस गरम सत में आध घंटे कपड़े को भिगोकर निचोड़ डालें ।
तूतिया - १ छटांक - २ आाउन्स गरम पानी ५ सेर - १ गैलन । इसमें १५ मिनट कपड़े को भिगोकर निचोड़ डालें ।
लाल कसीस या बाईक्रोमेट:- १ छटांक - २ आाउन्स, गरम पानी ५ सेर- १ गैलन, इसमें आध घंटे तक कपड़े को साफ भिगोकर पानी में घोडालिये ।