Book Title: Mahavir 1934 01 to 12 and 1935 01 to 04
Author(s): Tarachand Dosi and Others
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
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५) श्रीमती भबूबाई, रावला निवासी
२||) शाह श्रोगाजी चम्पालालजी, उदयपुर
३०) पंच पौरवाल, सिरोही
१) श्री जीवदया प्रचारकमण्डल, गुडाबालोता
५१) गांव बेड़ा पंच पौरवाल
१५,३५५ =) ॥ ५३ | | |
१५,४०६ =)
) || श्री पोते बाकी
पौरवाल ज्ञाति का इतिहास
व
शिवनरायजी पौरवाल ( यशलहा ) इन्दौर
पौवाल ज्ञाति का इतिहास कितना महत्व पूर्ण है ? उसको तो वे ही मनुष्य जान सकते हैं जिन्होंने इस ज्ञाति के प्राचीन इतिहास का मनन किया है। पौरवाल ज्ञाति का प्रभाव भारतभूमि पर बहुत समय तक रहा है और इस जाति के वीरों ने महत्वपूर्ण कार्य किये हैं जिसकी प्रशंसा मुक्तकण्ठ से पश्चात्य विद्वानों ने भी की है उसी जाति के इतिहास का संकलन श्रीयुत् शिवनाराणजी आज १४, १५ वर्ष से कर रहे हैं और इसके लिये उन्होंने बहुत सामग्री भी इकट्ठी कर ली है हमें इस बात की अधिक खुशी है कि पौरवाल ज्ञाति का इतिहास एक पौरवाल युवक द्वारा लिखा जाकर प्रकाशित हो। शिवनारायणजी पौरवाल ज्ञाति को सुसम्पन्नावस्था में देखना चाहते हैं अतएव ज्ञाति को जागृत करने के लिये अधिक परिश्रम करके भी इतिहास संकलन कर रहे हैं इसके लिये जितना धन्यवाद raat दिया जाय थोड़ा है। शिवनारायणजी द्वारा लिखा हुआ पौरवाल ज्ञाति को इतिहास प्रथम भाग में प्रकाशित होगा और उसमें वे सब विषय होंगे जो महावीर' के इसी अङ्क में पेज नं० १०७ से ११० पर छपे हैं ।