Book Title: Mahavir 1934 01 to 12 and 1935 01 to 04
Author(s): Tarachand Dosi and Others
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan

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Page 143
________________ शुभ सन्देश ! विशाल आयोजना !! पौरवाल ज्ञाति का विशाल इतिहास सचित्र मन्दिरावली और डायरेक्टरी भारतवर्ष में पौरवाल जाति बहुत ही गौरवशाली जातियों में से एक है जिसने भाज से हजार पांच सौ वर्ष पूर्व अनेक महान् कार्य किये हैं और मुख्यतः मन्दिरों के निर्माण करने में जो यश प्राप्त किया है वह निःसन्देह प्रशंसनीय है जिनकी जोड़ के मन्दिर इस संसार की सपाटी पर नहीं हैं । इस जाति ने अपनी अपूर्व वीरता अलौकिक राजनीतिज्ञता व्यापारिक दूरदर्शिता आदि महान् गुणों से - इतिहास के पृष्ठों को उज्ज्वल किया है। जिन सज्जनों ने राजस्थान के इतिहास के साथ - गुजरात के इतिहास को ध्यान पूर्वक मनन किया है वे जानते हैं कि इस जाति के महान पुरुषों ने जहां युद्ध क्षेत्र में अपनी अपूर्व रण चातुरी का परिचय दिया है, वहां राजनीति के मंच पर भी इन्होंने बड़े-बड़े खेल खेले हैं। इसी प्रकार व्यापारिक जगत में भी इन्होंने अपनी अपूर्व प्रतिभा का परिचय दिया है। एक मूंजाल जो -गुजरात का प्रधान मंत्री था उसकी हुंड़ी यूयान तक में सिकारी जाती थी । इस जाति में अनेक लौकिक विभूतियां होगई हैं जिन्होंने भारत के इतिहास को बनाने में बहुत बड़ा हिस्सा लिया है। महामंत्री मुंजाल, विमलशाह वस्तुपाल, तेजपाल, पेथड़कुमार, धनाशाह इत्यादि महापुरुषों ने समय २ पर अपनी रणनीतिज्ञता एवं राजनैतिक और व्यापारिक प्रतिभा का अपूर्व दिग्दर्शन कराया है । पर इस बात का बड़ा खेद है कि इस गौरवशाली जाति का अब तक कोई प्रमाणबद्ध सुसंगठित इतिहास निर्माण नहीं हुआ है। यह कहने की आवश्यक्ता नहीं कि जिस जाति का इतिहास नहीं है वह एक न एक दिन गहरे अन्धकार में लीन हो जाती है। उसके सदस्य अपने गत गौरव को भूल जाते हैं क्योंकि जिस जाति का भूतकाल उज्ज्वल नहीं होता, उसका भविष्य भी कभी उज्ज्वल नहीं हो सकता । कुछ युवक इस जाति का सुसंगठित इतिहास तैयार करने के लिये बहुत दिनों से बाट देखते थे । परन्तु इसमें अधिक खर्चे व कठिनाइयों को देख कर अब तक किसी महाशय ने इसको निर्माण करने का कार्य अपने हाथ में नहीं

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