Book Title: Mahavir 1934 01 to 12 and 1935 01 to 04
Author(s): Tarachand Dosi and Others
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan

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Page 125
________________ अच्छा गाढा रंग चढ़ेगा । रंगने पर कपड़े को निचोड़ कर छह में सुखा लेना चाहिये। .. . हल्दी का रंग पक्का नहीं होता और धूप से फीका पड़ जाता है । चार ( Alkali ) लगने से रंग लाल हो जाता है, परन्तु धोने से फिर थोड़ा फीका पीला रंग पड़ जाता है। कपड़े को केवल पानी से धोने से रंग फीका नहीं पड़ता । फिटकिरी देने से रंग उज्वल और कुछ पका होता है। (१६ ) पक्का धानी रंग या सुनहरी:अनार की छाल-४ छटांक-८ औंस; पानी-५ सेर-१ गैलन । माध घंटे तक उबाल कर सत निकालें । इस गरम सत में भाष घंटे तक कपड़ा भिगो कर निचोड़ डाले । , फिटकिरी-१ छटांक-२ माउन्स; गरम पानी-५ सेर-१ गैलन । - इसमें १५ मिनिट कपड़े को भिगो कर, निचोड़ कर साफ पानी से धो डालें। अनार की छाल के बदले हरें का प्रयोग किया जा सकता है, परन्तु इससे अच्छा उज्वल रंग नहीं आता। . (१७) हरा पक्काः - . नीले और पीले रंग के संयोग से हरा रंग होता है। पहिले कपड़े को नीले रंग में रंगना चाहिये, क्योंकि किसी दूसरे रंग के ऊपर नीला रंग नहीं माता। . . ऊपर बताये हुए नियमों के अनुसार पहले कपड़े पर उज्वल नीला रंग चढ़ा कर एक दिन बाद उसे धोकर सुनहरी रंग से रंगना चाहिये । यहां अनार की छाल के बदले हर्रे से काम चल सकता है। (१८) फीका हरा या घास का रंग पक्का:- ऊपर बताये हुए नियमानुसार पहले नील से कपड़े को पासमानी रंग में रंग कर सुनहरी रंग से रंग लेवें । परंतु अनार की छाल से और वस्तुओं की मात्रा परिमाख ( Formula ) में दी हुई मात्रामों की भाधी कर देनी चाहिये।

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