Book Title: Mahavir 1934 01 to 12 and 1935 01 to 04
Author(s): Tarachand Dosi and Others
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
View full book text
________________
(१३०) पौरपालों के नाम से जाहिर करते हैं उनका यह भ्रम था कि हमारे सिवाय पोरवालों के घर कहीं पर नहीं है अतएव उनको पोरवाल ज्ञाति का परिचय कराया गया ताकि उनका भ्रम दूर होगया और हम लोगों का अच्छा स्वागत किया । हमारा जाहिर भाषण वाईली मेमोरियल-हाल में हुआ । जहां पर करीब तीन हजार जनता एकत्रित थी । भाषण भी पौरवाल ज्ञाति के परिचय पर ही था। उनके हृदय में यह अंकुर पैदा किये कि पोरवाल ज्ञाति की सब पेटा ज्ञाति परस्पर मिलकर एक ही है । दर २ देशों में जा बसने से भिन्न २ नाम से पुकारी जाती है और दूर होने की वजह से विवाह सम्बन्ध न होने से एक दूसरे का परिचय अधिक नहीं है। पौरवाल २ में ही सम्बन्ध हो जाना शाति की उन्नति है । उन लोगों की भी भावना माषण से जागृत की कि इस देश का संबन्ध हमारे देश के साथ शुरु किया जाय । अब मेरा यही कहना है कि इस देश की अन्य जनता अपने से बिछड़े हुए दूर के भाइयों को अपनायेगी तो अपने समाज की त्रुटी शीघ्र पूर्ण हो जायगी। उस देश में कन्या विक्रय का प्रचार नहीं है। जनता साधारण है, आवक व्यय भी उनके साधारण हैं । अतएव सहज में ही जो इस देश के समाज में जुटी है वह उनके साथ सम्बन्ध बढ़ाने में पूरी हो सकेगी। भागेवान इस पर ध्यान दे और अपना प्रयत्न उस देश के साथ व्यवहार-वृद्धि करने का जारी रखें।
___एस० भार सिंघी महा-मन्त्री श्री अ. भा. पौ०
महा-सम्मेलन, सिरोही ( राजपूताना ).
व्यापार पेटरोल, केरोसिन और क्रूड ऑइल्स उपरोक्त तीनों चीजों का व्यापार विदेशियों के हाथ में है। इन चीजों का खर्चा सारे भारत में बहुत है। यदि इन तीनों चीजों का व्यापार भारतीय कम्पनी द्वारा किया जाय तो भारत को यथेष्ठ फायदा हो सकता है। पौरवाल समाज के धनाड्य व्यक्ति या साधारण व्यक्तिएं कम्पनी को फोर्मकर इस व्या