Book Title: Mahavir 1934 01 to 12 and 1935 01 to 04
Author(s): Tarachand Dosi and Others
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
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बाले आज संसार पर अधिकार जमाये हुए हैं। क्या इनके विशेषज्ञ विद्वान् ( Expert ) भारत में पैदा नहीं हुए हैं ? विज्ञानाचार्य सर जगदीशचन्द्र बसु स्व० पंडित मोतीलाल नेहरू, श्री० विठ्ठलभाई पटेल एवं चित्तरंजनदास के मुकाबले में शायद ही संसार में उनकी जोड़ी मिलेगी फिर भी सभ्य संवार की दृष्टि में भारतवर्ष असभ्य समझा जाता है, इसका क्या कारण है ? इसका उत्तर सी० एन. के. एय्यर नामक भारतीय विद्वान् ने अपने "श्रीमद् शंकराचार्य उनका जीवन और समय" नामक ग्रन्थ की भूमिका में निम्न प्रकार दिया है
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"भारतवर्ष आज संसार की दृष्टि में इसलिये हेय है कि भारतीय इतिहास के वीरों की शौर्य कथाओं से संसार अनभिज्ञ है । यह बात नहीं है कि भारतीय वीरों की कथाएं संसार की कहने के लिये नहीं हैं या वे जगत् साहित्य के मुकाबले में कम महत्व की हैं
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* "India suffers to-day in the estimation of the world more through that worlds ignorance of the achievements of the heroes of Indian history than through the absence or insignificance of such achievements."
Shree Shankaracharya,
his Life and Times; P. IV., By C. N. K. Aiyar.
भारतवर्ष में 'रामायण' और 'महाभारत' जैसे आर्दश इतिहास ग्रन्थ आर्य जाति के सद्भाग्य से विद्यमान हैं। उनके प्रताप से आर्यगण सभ्य संसार के सामने अपना मस्तक गौरव से ऊंचा किये हुए हैं । स्व० सर रमेशचन्द्रदस ने अपने अमर ग्रन्थ Hindu Superiority में लिखा है कि “कितने हजार वर्षों से पुण्य कथा ( रामायण और महाभारत) भारतवर्ष में ध्वनित और प्रतिध्वनित हो रही है । सुन्दर बंगदेश में, तुपार- पूर्ण पर्वत-वेष्टित कातर में, वीरप्रसू राज स्थान और महाराष्ट्र भूमि में, सागर प्रक्षालित कर्नाटक और द्रविड़ में, अत्यन्त फलद्रूप पंचनद शोभित पांचाल ( पंजाब ) प्रदेश में कितने हजार वर्षों से यह गीत ध्वनित हो रहा है। हम लोग यह शिक्षा कभी न भूलें। गौरव के दिनों में इन्हीं अनन्त गीवों ने हमारे पूर्वजों को प्रोत्साहित किया था । हस्तिनापुर,