Book Title: Mahavir 1934 01 to 12 and 1935 01 to 04
Author(s): Tarachand Dosi and Others
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
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पौरवाल ज्ञाति इतिहास के मुख्य ३ विषय नोट-(हरएक विषय पर एक स्वतंत्र अभ्याय होगा जो महाशय निम्नलिखित विषयों पर लेख लिख कर भेजेंगे वे सहर्ष स्वीकार किये जायेंगे और यदि इतिहास में देने योग्य हुए तो उसमें स्थान दिया जायगा। हरएक लेख कम से कम माठ फुखिसकेप पेपर के एक तरफ लिखे होने चाहिये। (१) पूर्व की तरफ से (श्रीमालनगर) की ओर दश हजार योद्धाओं
का माना और पाबू की तलहटी में क्सनेवाली पत्रावती नगरी
के उद्यान में ठहरना । ( २ ) आचार्य स्वयंभूरी का उपदेश और जैनधर्म की स्वीकारता। ( ३ ) जैनधर्म स्वीकार करने के बाद प्रागंवदं ( पोरवाल ) ज्ञाति माम
रखने का कारण । (४) पोरवाल ज्ञाति के उत्पत्ति के शिलालेख कापदरा आदि के । ( ५ ) पोरवाल ज्ञाति के रूप २ गौत्र व उनका इतिहास । ( ६ ) पौरवाल ज्ञाति का एक विशाल पक्ष में पल्लवित होना । (७) पौरपाल ज्ञाति की धार्मिकता । ( ८ ) पौरवाल ज्ञाति के जैनाचार्य और अन्य । (६ ) अन्य जैनाचार्यों का संचिप्त विवर्ण जिन्होंने पौरवाल बाति
को निर्माण करने में कार्य किया । (१०) पोरवाल ज्ञाति के कुशल विद्वान् व उनकी कृतिएं । (११) पौरवाल ज्ञाति के शिल्पकार और उनका संक्षिप्त वर्णन (प्राचीन)। (१२) पौरवालों पर जैनाचार्यों का प्रभाव । (१३) पौरवालों की सच्ची स्वामीवत्सल्पता और परस्पर समानता (१४) चन्द्रावती व गुजरात के राज्य शासन में पोरवालों का
प्रमुख हाथ । (१५) पौरवाल ज्ञाति के सात दुर्ग और उनका दृढ़ता से पालन । (१६) भारत में मन्दिर निर्माण में पोरवालों की असीम उदारता ।