Book Title: Mahavir 1934 01 to 12 and 1935 01 to 04
Author(s): Tarachand Dosi and Others
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
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(६८) उस पर जो हुक्मी चलाता है उसका कारण यही है कि उसकी प्रधिक सेवा होने से वह निर्बल होगया है और स्वाधीनता खो बैठा हैं।
यहां पर कुशन निपुण कारीगर की मिसाल देते हैं। एक कारीगर सुन्दर काम हाथ से करता है इतना ही नहीं परन्तु वह सारी वर्कसोप को अपनी सलाह से प्रसंगोपात काम बताता है। वह जहां काम करता है वहां पर उसमें मनुष्यों को काबू में लाने और उनको सीखाने की सुन्दर शक्तिा है यह सशक्ता मनुष्य है जब आस पास के मनुष्य गुस्सा करते हैं या लड़ाई करते हैं तब चुपचाप रहता है कारण कि उसको अपने अन्दर कितनी शक्ति है उसका भान है परन्तु जब यही कारीगर घर आता है तब शक्ति कम होने की वजह से अथवा देर होने के कारण अपनी स्त्री को डराता है और उसके साथ लड़ पड़ता है इसका सच्चा कारण यह है कि घर के काम में वह कुशल कारीगर नहीं है। वह वर्कशॉप में स्वाधीन था। वह घर के काम में कुशल नहीं है अतएव पराधीन है। घर में कुशल कारीगर उसकी स्त्री है जो उसकी सेवा करती है और संभाल रखती है । यहाँ पर वह बलवान है वहां पर वह स्वाधीन है, परन्तु जहां उसकी सेवा चाकरी होती हैं वहां पर वह पराधीन है यदि वह घर का काम करना सीख जाय तो स्वाधीन हो सकता है। उसमें सम्पूर्ण मनुष्यत पा सकता है और यह ऐसे झगड़े करना भूल जाता है। जो मनुष्य अपने आराम और विकास के लिये जरूरी काम कर सकता है वह मनुष्य सम्पूर्ण विनयी है, स्वाधीन है, स्वतंत्र है, जिसको दूसरे का प्राधार लेना पड़ता है वह निस्सदेह गुलाम है।
हमें भावि युग के लिऐ बलवान मनुष्यों की जरूरत है। बलवान मनुष्य अर्थात् स्वाधीन मनुष्य से ही सम्बन्ध है।
नियमन यदि कोई नियमित मोन्टीसोरी पाठशाला में जाकर देखे तो छोटे बच्चों के स्वयं नियमन से ताज्जुब हो जायगा। तीन से चार वर्ष की उमर से ४० बच्चे एक साथ काम करते मालूम होंगे। हरएक बच्चा अपने काम में मशगूल होगा। कोई इन्द्री की शिक्षा का साधन काम में लाता होगा, कोई गिनती की घोड़ी पर काम करता होगा, कोई भवर फिराता होगा, कोई घटन के