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श्री गुरु गौतमस्वामी ]
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गौतम गणधर केवल दिवसे ऋद्धि वृद्धि कल्याण करो...
-पूज्य आचार्यश्री विजयराजयशसूरीधरजी महाराज
नूतन वर्ष, नूतन प्रार्थनाएं ००० अनंत लब्धि के निधान हैं गुरु गौतमस्वामी !
आज के मंगल दिन में आपको केवलज्ञान की प्राप्ति हुई थी....कितना सुभग योग....प्रभु || महावीर को निर्वाण और गौतमस्वामी को केवलज्ञान !
आज के दिन का वातावरण-महत्त्व कुछ और ही होता है। प्रत्येक व्यक्ति कुछ आशा-उल्लास और उमंग में दिखाई देता है। सब के दिल में यही भावना है-“आगामी वर्ष आनन्दमय व्यतीत हो....आगामी वर्ष शांति शाता एवं स्वास्थ्यमय हो" यही सब की आशा होती है। आज प्रत्येक व्यक्ति जिनमंदिर में जायेगा। प्रभु से तन्मय भाव से प्रार्थना करेगा। आइए! आज तक आपने जो प्रार्थनाएं की हैं उनमें कुछ परिवर्तन जरूरी है। प्रार्थना एक मांग ही नहीं होनी चाहिए, प्रार्थना हमारे आंतरिक पुरुषार्थ की निवेदना होनी चाहिए। हमारी मनोकामना स्वकेंद्रित न होकर सर्वकेंद्रित होनी चाहिए।
आज तक हमने चाहा था(१) हे प्रभो! मेरा स्वाथ्य ठीक रहे। मेरी शारीरिक शक्ति बनी रहे। .
आज हम प्रार्थना करेंगे मेरा जीवन व्यसनमुक्त बने। नियमित बने। जीवन में मिताहार का महत्त्व स्थापित हो। आहार के पाचन के लिए परिश्रम की प्रतिष्ठा हो।
(२) आज तक हमारी प्रार्थना थी....हे प्रभो ! मुझे स्वादिष्ट भोजन मिलें। आज से हम कहेंगे कि स्वादिष्ट भोजन में भी संयमवृत्ति मिले।
(३) हम प्रार्थना करते थे कि हमें शालीभद्र की ऋद्धि मिले। पर अब हम कहेंगे कि हमें शालिभद्र का औदार्य मिले। हमने चाहा था कि बाहुबली जैसा बल हमें मिलें किन्तु आज हम कहेंगे कि बाहुबली जैसी साधुजनों की सेवा मिले।
(४) हमने चाहा था कि हमें भरत महाराज की ऋद्धि मिले। लेकिन आज से कहेंगे कि हमें भरत महाराजा जैसी अनासक्ति मिले ।
(५) आज पर्यंत हम संपत्ति की मांग कई दफे कर चूके, अब हमें संस्कार की मांग ही करना है।
(६) हमने सत्ता की याचना बहुत बार की है।
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