Book Title: Mahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Author(s): Narendra Jain
Publisher: Vitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
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महाकवि भूपरदास : हिन्दी संत साहित्य की कई विशेषताएँ भूधरसाहित्य में दृष्टिगोचर होती है। अतः हिन्दी संत साहित्य के विशेष सन्दर्भ में भूधरदास का समालोचनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया गया। महापण्डित राहुल सांस्कृत्यायन, आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, डॉ. हीरालाल जैन, डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल आदि विद्वानों के शोधपूर्ण लेखों, निष्पक्ष विचारों से यह प्रतीत हुआ कि धार्मिक होने मात्र से कोई इतना साहित्य की कोशि से पृथक नहीं की जा सकती है; अत: जैन साहित्य और साहित्यकारों का अध्ययन करना चाहिए । इसी कड़ी में भूधरदास के व्यक्तित्व एवं कृर्तृत्व का अध्ययन किया गया ।
जैन सहित्यकारों ने हिन्दी साहित्य की महती सेवा की एवं उसके विकास में पर्याप्त योगदान दिया, परन्तु हिन्दी साहित्य के इतिहास को लिखने वाले लेखकों ने उनके नाम एवं योगदान की कोई विशेष चर्चा नहीं की। इस श्रृंखला में भूधरदास के योगदान पर विचार किया गया, जिससे उनका हिन्दी साहित्य में स्थान निश्चित किया जा सके।
इसके अतिरिक्त कुछ अन्य महत्वपूर्ण तथ्य हैं, जिनसे प्रभावित होकर मैं भूधरदास पर शोधकार्य करने में प्रवृत्त हुआ। वे हैं
1. मध्यकालीन जैन कवियों में भूधरदास का सर्वोच्च स्थान है। 2. “पार्श्वपुराण" नामक महाकाव्य के रचयिता होने के कारण भूधरदास
"महाकवि हैं।
भूधरदास तत्कालीन श्रृंगारपरक कविता के आलोचक हैं । 4. वे जैनशतक एवं विभिन्न पदों में भक्ति, वैराग्य, धर्म एवं अध्यात्म
को अभिव्यक्त करने वाले धार्मिक व आध्यात्मिक कवि हैं। भूधरदास सर्वाधिक प्रसिद्ध कवि हैं। उनके द्वारा रचित कई स्तुतियाँ, पार्श्वपुराण में लिखी गई बारह भावनाएँ एवं बज्रनाभि चक्रवर्ती की वैराग्य भावना - जैन समाज में अति लोकप्रिय हैं। साथ ही उनके द्वारा रचित "जैनशतक" श्री दिगम्बर जैन महिला आश्रम, इन्दौर में स्थित समवशरण मन्दिर में तथा पार्श्वपुराण के अन्तर्गत लिखे गये