Book Title: Kavivar Bulakhichand Bulakidas Evan Hemraj
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur

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Page 12
________________ (xiii ही जैन रचनाओं में राज, समाज और संस्कृति की श्रमूल्य सामग्री समाहित हो सकी है। प्रस्तुत संकलन में आए हुए कवियों की रचनाओं का सामाजिक और साँस्कृतिक अध्ययन मध्यकालीन समाज और संस्कृति के अनेक अज्ञात प्रथवा प्रज्ञात पक्षों को उजागर कर सकता है। यह हर्ष का विषय है कि डा. कासलीवाल ने इस दिशा में संकेत करते हुए अपने संपादकीय प्रालेखो में यह शुभारम्भ कर दिया है। आधुनिक विश्वविद्यालयों में शोधरत छात्रों द्वारा ऐसे लघुशोध प्रबंध तैयार करवाये जाकर इस प्रयत्न को आगे बढाया जा सकता है। कालान्तर में ऐसे ही प्रयासों से 'विशाल भारतीय संस्कृतिक्रोश' का निर्माण संभव हो सकेगा - प्रस्तुत संकलन के संपादन व प्रकाशन के लिए श्री महावीर ग्रंथ अकादमी से संबद्ध सभी सुधीजन, विशेषतः डा. कासलीवाल, सभी साहित्य प्रेमियों के साधुबाद के पात्र हैं । डी २५२, मीरा मार्ग बनीपार्क, जयपुर । 0-00 रावत सारस्वत

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