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(१०) और राणा उदयसिंह के पुत्र महाराणा प्रताप अत्यधिक साहसी, स्वाभिमानी थे, अकबर जैसे शक्तिशाली सम्राट से लोहा लेते रहे, पराधीनता स्वीकार नहीं की, संधि प्रस्ताव भी नहीं माना। जबकि उन्हीं के पुत्र अमरसिंह ने अकबर के पुत्र जहाँगीर से संधि कर ली। वह संघर्ष न कर सका।
यही दशा मुगल बादशाहों की भी रही। बाबर समरकन्द से लेकर भारत में पानीपत और खानवा के युद्धों में अपने थोड़े से सैनिकों को साथ लेकर विजय प्राप्त करता चला गया और उसी का पुत्र हुमायूँ स्थान-स्थान पर पराजित होकर इधरउधर भागता-फिरता रहा, यहाँ तक कि उसे फारस के शाह की शरण लेनी पड़ी, जबकि हुमायूँ का पुत्र अकबर तेजस्वी, वीर, साहसी और बुद्धिमान निकला, सम्पूर्ण भारतवर्ष का एकच्छत्र सम्राट बनकर अकबर महान (Akbar-The great Mugal Emperor) कहलाया।
यह तो भारतीय इतिहास के कुछ उदाहरण हैं। वीर शिवाजी के पिता शाहजी भोंसले और उनके पुत्र शम्भाजी भोंसले इतने साहसी नहीं थे, जबकि शिवाजी ने अपने साहस के बल पर मुगल सल्तनत की नीवें हिला दीं। हिन्दू गौरव रक्षक की उपाधि प्राप्त की। ___ संसार में सर्वत्र ऐसे उदाहरण प्राप्त होते हैं। सामान्य और साधारण जनता में भी ऐसी ही स्थिति देखी जाती है। .
एक ही माता-पिता के युगल पुत्रों को समान गुणसूत्र, जीन्स आदि प्राप्त होते हैं। एक ही वातावरण में उनका पालन-पोषण होता है, एक ही स्कूल में शिक्षा पाते हैं। फिर भी उनके मानसिक एवं शारीरिक विकास में अन्तर पाया जाता है, रुचियाँ, प्रवृत्तियाँ, दृष्टिकोण भी भिन्न होते हैं।
एक पढ़ लिखकर डाक्टर, वकील, इंजीनियर बन जाता है तो दूसरा बुद्ध रह जाता है। एक स्वस्थ रहता है तो दूसरे का रोग पीछा ही नहीं छोड़ते, सदा ही बीमार रहता है। एक लम्बा तो दूसरा ठिंगना, एक गोरा-सुदर्शन तो दूसरा काला-भूत के समान।
मुख्य प्रश्न फिर भी अनुत्तरित रह जाता है-आखिर ये सब विभिन्नताएँ विचित्रताएँ क्यों होती हैं? संसार का कोई भी एक व्यक्ति, रूप-रंग, शक्ल-सूरत, बोली-वाणी में दूसरे के समान क्यों नहीं है?
पर्यावरण, वंशानुक्रम आदि सिद्धान्त इन प्रश्नों का कोई समुचित उत्तर नहीं दे पाते, संतोषप्रद कारण बताने में असमर्थ रहते हैं।
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