Book Title: Karm Vignan Part 05
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 13
________________ कहा-बालक का पालन-पोषण जैसे वातावरण में होता है, वह वैसा ही बन जाता है, उसी साँचे में ढल जाता है। भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार उसका शरीर लम्बा या छोटा होता है, वह परिश्रमशील अथवा आलसी बनता है। पर्यावरण में संगति-सुसंगति और कुसंगति भी सम्मिलित करली गई। .. यह सिद्धान्त प्राचीन काल में भी मान्य था। संगति का प्रभाव सभी मानते थे। साथ ही यह भी माना जाता था कि ठण्डे देशों के निवासी, गर्म देशों के निवासियों की अपेक्षा अधिक बुद्धिमान, परिश्रमी और साहसी होते हैं। इसी आधार पर आर्यों और अंग्रेजों ने द्रविडों तथा भारतीयों से अपने को उच्च मानने का दम्भ किया। लेकिन जब ऐसी घटनाएँ हुईं कि गरम देशों के निवासियों ने बुद्धिमानी और परिश्रमशीलता का परिचय दिया, यथा-जगदीशचन्द्र बसु, मेघनाद साहा, वेंकटरमन आदि, तथा सुसंगति में पले हुए व्यक्ति भी असामाजिक तत्व बनकर उभरे और कुसंगति में रहकर भी कुछ व्यक्तियों के चरित्र में सज्जनता, करुणा, सहयोग, सद्भाव आदि मानवीय गुणों का उत्कर्ष पाया गया तो पर्यावरण सिद्धान्त भी शंकास्पद हो गया। मारगरेट मीड, जेन ऑस्टिन, राल्फ लिंटन जैसे पर्यावरण के प्रबल समर्थक भी चकित रह गये। रामानुज शास्त्री की गणित प्रतिभा देखकर अंग्रेजों की विशिष्ट बुद्धिमत्ता दुःस्वप्रवत् खण्डित हो गई। देशकाल के वातावरण पर शरीर की लम्बाई और छोटेपन का जो सिद्धान्त निर्धारित किया गया था, वह तब खण्डित हो गया जब एक अफ्रीकी 7-1/2 फुट लम्बा था और इग्लैण्ड, अमरीका आदि ठण्डे देशों में कई व्यक्ति बोने 2-1/2 से • तीन फुट लम्बे पाये गये। वंशानुक्रम पर्यावरणवाद पर प्रश्नचिन्ह लगने के उपरान्त वैज्ञानिकों का ध्यान वंशानुक्रमण • (Heredity) की ओर गया। माना गया कि माता-पिता के अनुसार उनके पुत्र-पुत्री होते हैं। हरगोविन्द सिंह खुराना ने जब 77 जीन्स (Genes) के जोड़े लेकर जीवविज्ञान तथा वनस्पति विज्ञान में प्रयोग किये तब से इस सिद्धान्त को विशेष बल मिला। गुणसूत्र का सिद्धान्त सामने आया। प्रतिपादित किया गया कि माता-पिता के गुणसूत्र उनकी संतानों में संक्रमित होते हैं और पिता के अनुसार पुत्र तथा माता जैसी पुत्री होती है। एक ऐसी प्राचीन कहावत भी है-माँ जिसी बेटी, बाप जिसो बेटो! -- लेकिन यह सिद्धान्त भी पूर्ण सत्य प्रमाणित नहीं होता। भारतीय इतिहास में राणा संग्राम सिंह (राणा सांगा) जितने बहादुर थे, उनके पुत्र उदयसिंह उतने वीर नहीं थे Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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