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महाबाहु बाहुबलि। [७३ सेवा करना में अपना अपमान समझता हूं। मैं जानता हूं मेरी यह स्पष्टता आपको अवश्य खलेगी लेकिन इसके सिवाय मेरे पास और कोई प्रत्युत्तर नहीं है।
भापका-बाहुबलि । ___पत्र लिखकर उन्होंने उसे बंद किया और दूतको देकर उसे चक्रवतिके लिए देनेको कहा
दृतने पत्र ले जाकर चक्रवर्तिको दिया । उन्होंने पत्र पढ़ा । पढ़ते ही उनका हृदय कोषसे प्रदीप्त होगया। वह बोल ठे, बाहुबलिकी इतनी धृष्ठता ? वह मेरा भारत विजयी चक्रवर्तिका, प्रभुत्व स्वीकार नहीं करना चाहता ? एक साधारण राज्यके स्वामित्वका उसे इतना महंकार है ? अच्छा मैं भी उसका यह अभिमान शिखा टुको २ कर दूंगा। यह कहते हुए उन्होंने बाहुबलिसे युद्ध करनेके लिए अपने प्रधान सेनापतिको सेन्य सजानेकी आज्ञा दी।
चक्रवर्तिके विद्वान् मंत्रियों ने इस बन्धु विरघको सुना। भाई माईमें बढ़ती हुई इस युद्धानिको उन्होंने रोकनेका प्रयत्न किया । वे चक्रवर्तिसे बोले-सम्राट् ! माप राजनीति विशारद हैं, दोनों भाइयों के परस्प के युद्धसे भीषण अनिष्ट होनेकी आशंका है। कुमार बाहुबलि न्यायप्रिय और विवेकशील हैं, इसलिए उनके पास एकवार दृत भेजकर फिरसे उन्हें समझाया जाय, यदि इसबार भी वे न समझें तो फिर सम्र ट जैसा उचित समझें वैसा हुक्म दें।
मंत्रियों की सम्मतिको चक्रवर्तिने पसन्द किया और एक पत्र लिखकर उसे दृतको देकर बाहुबलिके पास भेना । पत्रमें उन्होंने लिखा था