________________
महात्मा रामचन्द्र ।
[१३१
रक्षण प्रकृतिके उपासक थे। प्रकृतिका अबाधित माम्रज्य गिरके पारों ओर फैला हुआ था। उसकी मनोमोहकताने उनका हृदय मुग्ध कर लिया था।
एक दिन प्रकृतिकी शोभा निरीक्षण करते हुए वे बहुत दूर पहुंच गए थे, वां होने एक वांसके जंगलको देवा । वामका वह जंगल क अद्भुत प्रशसे प्रकाशित हो रहा था। देखकर टाके आश्चर्या ठिकाना नहीं रहा। वे उस प्रकाशकी खोज क. ' बांगों के निकट पहुंचे। उनके अन्दर उन्होंने एक चन की नई बस्तु देवी । गे चलकर उन्होंने उसे •ठा लिया। वह २ ना, ''| तीक्ष्ण " ड ! थ', खड्की तीक्षण के परीक्षणके दौर में मों पर चलाया । र क्या था उनके दम्ने म्यूम वांमा जगन पट गया ! टममें 48 हः शंबुक३ मा दशा भी क्ट का जमीन पर गिर गया ।।
'श्च चकित लक्षण उस खड्गको लेकर माने सहनशी कळे अप
की बहिन चन्द्र याका पुत्र के जंगलों मटा मा वि. • इको उपासना के 'हा था, ८पासना करते हुए उसे एक माह ।। था, उमकी . - निन्यति भोजर लाया ली थी।
.हकी भावना मान समारी थी। इन उपके साम्:ने पड़ा था लेकिन उसका दुर्भाग्य उसके साथ था । वह शंबुकको न मिरूका लक्ष्क्षणके हाथ लगा । उसे उसके द्वारा मृत्यु ही हाथ लगी।
माज चन्द्रनखा पाने पुत्र के लिए नियमानुसार भोजन बाई