Book Title: Jain Tattva Prakash
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Amol Jain Gyanalaya

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Page 9
________________ परिवर्तन पाठकों को रुचिकर होगा और इस ग्रंथ का उसी प्रकार प्रेम के साथ स्वागत किया जायगा, जिस प्रकार अब तक होता आया है। वास्तव में यह ग्रंथराज जैनतत्त्वज्ञान का भंडार है। इससे जिज्ञासु जनता अधिक से अधिक लाभ उठावे, यही आन्तरिक कामना है। सम्पादित मेटर को पं० २० प्रधानमंत्री श्री आनन्दऋषिजी म. ने अवलोकन करने की कृपा की है। फिर भी संभव है, दृष्टि-दोष से सम्पादन में कहीं कोई त्रुटि रह गई हो तो पाठक सूचना दें और उसके लिए क्षमा करें। ब्यावर निवेदक:रक्षाबन्धन, वि० सं० २०११ शोभाचन्द्र भारिल्ल

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