Book Title: Jain Tarkabhasha
Author(s): Yashovijay Upadhyay, Udayvallabhvijay
Publisher: Divya Darshan Trust
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(जैनतर्कभाषाविषयानुक्रमः
विषयः
पृष्ठम्
(१-१७३)
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१. प्रमाणपरिच्छेद : १. प्रमाणसामान्यस्य लक्षणनिरूपणम् २. प्रत्यक्ष लक्षयित्वा सांव्यवहारिक-पारमार्थिकत्वाभ्यां तद्विभजनम् ३. सांव्यवहारिकप्रत्यक्षस्य निरूपणम्, मतिश्रुतयोविवेकश्च ४. मतिज्ञानस्य अवग्रहादिभेदेन चातुर्विध्यप्रकटनम् ५. व्यञ्जनावग्रहस्य चातुर्विध्यप्रदर्शने मनश्चक्षुषोरप्राप्यकारित्वसमर्थनम् ६. अर्थावग्रहस्य निरूपणम् ७. ईहावायधारणानां क्रमशो निरूपणम् ८. श्रुतज्ञानं चतुर्दशधा विभज्य तन्निरूपणम् ९. पारमार्थिक प्रत्यक्षं त्रिधा विभज्य प्रथममवधेर्निरूपणम् १०. मनःपर्यवज्ञानस्य निरूपणम् . ११. केवलज्ञानस्य निरूपणम् १२. परोक्षं लक्षयित्वा पञ्चधा विभज्य च स्मृतेर्निरूपणम् १३. प्रत्यभिज्ञानस्य निरूपणम् १४. तर्कस्य निरूपणम् १५. अनुमान द्वेधा विभज्य स्वार्थानुमानस्य लक्षणम १६. हेतुस्वरूपचर्चा १७. साध्यस्वरूपचर्चा १८. परार्थानुमानस्य प्रतिपादनम् १९. हेतुप्रकाराणामुपदर्शनम् २०. हेत्वाभासनिरूपणम् २१. आगमप्रमाणनिरूपणम् २२. सप्तभडगीस्वरूपचर्चा नयपरिच्छेदः | २३. नयसामान्यलक्षणम् २४. द्रव्यार्थिक-पर्यायार्थिकनयनिरूपणम्
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१०८ १०९ ११७
१३२ १४६
१५३ १६०
१६२ (१७४-२०८)
१७४ १७७
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