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प्रश्न ३८ - पर्याय पर से सच्चे कारक का माप क्यो निकालना - चाहिए ?
उत्तर - कार्य हुआ- इसमे तो सब एक मत हैं । परन्तु करने वाला कौन है ? इसमे भूल है । कारक का सही ज्ञान ना होने से ससार का पात्र बना हुआ है । कारक का सही ज्ञान हो जाये तो ससार का अभाव हो जावे, इसलिए पर्याय पर से सच्चे कारक का माप निकालना चाहिए |
कर्ताकारक का स्पष्टीकरण
प्रश्न ३६ - कर्ता किसे कहते है ?
उत्तर - जो स्वतन्त्रता से ( स्वाधीनता पूर्वक ) अपने परिणाम को करे वह कर्ता है ।
प्रश्न ४० - प्रत्येक द्रव्य किसका कर्ता है ?
उत्तर- प्रत्येक द्रव्य अपने मे स्वतन्त्र व्यापक होने से अपने ही परिणाम का स्वतन्त्रता से कर्ता है |
प्रश्न ४१ - प्रत्येक द्रव्य अपने ही परिणाम का कर्ता है दूसरे का नहीं, यह जिनवाणी मे कहाँ-कहाँ आया है ?
उत्तर- ( १ ) अनादिनिधन वस्तुएँ भिन्न-भिन्न अपनी-अपनी मर्यादा लिए परिणाम है, कोई किसी का परिणमाया परिणमता नाही और किसी को परिणमाने का भाव अनन्त ससार का कारण मिथ्यात्व है । [ मोक्षमार्ग प्रकाशक पृष्ठ ५२] (२) सब पदार्थ अपने - अपने द्रव्य मे अन्तर्मग्न रहने वाले अपने अनन्त धर्मों के चक्र को (समूह को ) चुम्बन करते हैं स्पर्श करते हैं तथापि वे ( सब द्रव्य) परस्पर एक दूसरे को स्पर्श नही करते । [ समयसार गा० ३ की टीका से ] (३) जो कुछ क्रिया है वह सब ही द्रव्य से भिन्न नही है । इससे विरुद्ध मानने वाला मिथ्यादृष्टिपने के कारण सर्वज्ञ मत से बाहर है । [ समयसार गा० ८५ की टीका से ]