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प्रश्न ४-~आपने जो निमित्त के पर्यायवाची नाम बताये, यह किस शास्त्र मे आये हैं ?
उत्तर-श्री तत्वार्थसार तीसरा अधिकार।
प्रश्न ५-जैनेन्द्र सिद्धान्त कोष भाग दो पृष्ठ ६१० मे निमित्त के पर्यायवाची शब्द क्या-क्या बताये हैं ?
उत्तर-कारण, प्रत्यय, हेतु, साधन, सहकारी, उपकारी, उपग्राहक, आश्रय, आलम्बन, अनुग्राहक, उत्पादक, कर्ता, हेतुकर्ता, प्रेरक ; हेतुमत, अभिव्यजक, ये सब निमित्त के पर्यायवाची शब्द हैं।
प्रश्न ६-निमित्त कारणो के कितने भेद हैं ? उत्तर-दो भेद हैं (१) प्रेरक निमित्त (२) उदासीन निमित्त । प्रश्न ७-प्रेरक निमित्त किसे कहते हैं ?
उत्तर-(१) गमन क्रिया वाले (मात्र क्षेत्र से क्षेत्रान्तर ही लेना है) जीव, पुद्गल, (२) इच्छादि (क्रोध, मान, माया, लोभ) वाला जीव प्रेरक निमित्त कहलाते है।
प्रश्न ८-प्रेरक का अर्थ क्या है ? उत्तर--अपने मे प्रकृष्टरूप से इरण और प्रेरणा करे वह प्रेरक है।
प्रश्न :-इच्छा आदि वाले जीव और गमन क्रिया वाले जीवो से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-(१) मुनि है । किसी धर्म लोभी जीव को उपदेश देने का विकल्प आवे, तो वह (मुनि) इच्छादिवाले निमित्त कहलाये (२) अहंत भगवान इच्छादिवाले निमित्त नहीं है, परन्तु अहंत भगवान गमन क्रिया वाले निमित्त है।
प्रश्न १०-सिद्ध भगवान को इच्छा नहीं है और गमन भी नहीं है तब सिद्ध भगवान कौन से निमित्त कहलावेंगे?
उत्तर-सिद्ध भगवान उदासीन निमित्त कहलाये जावेंगे। प्रश्न ११-क्या प्रेरक निमित्त उपादान मे कुछ करता है ? उत्तर-बिल्कुल नही, प्रेरक निमित्त जबरन उपादान मे कार्य कर