________________ ( 187 ) उत्तर-प्रत्येक द्रव्य-गुण अनादि अनन्त ध्रौव्य रहता हुआ एक पर्याय का व्यय और दूसरी पर्याय का उत्पाद एक ही समय मे स्वय स्वतः अपने परिणमन स्वभाव के कारण करता रहा है, करता है और भविष्य मे करता रहेना-ऐसा वस्तु स्वरूप है। इसी कारण अनादिकाल से मुंह रूप आहार वर्गणा मे पर्यायो.का प्रवाह चला आ रहा ____C. प्रश्न -आत्मा के चारित्रगुण में अनादिकाल से पर्यायो का प्रवाह क्यो चला आ रहा है ? उत्तर–प्रत्येक द्रव्य-गुण अनादि अनन्त धौव्य रहता हुआ एक पर्याय का व्यय और दूसरी पर्याय का उत्पाद एक ही समय मे स्वय स्वत अपने परिणमन स्वभाव के कारण करता रहा है, करता है और भविष्य मे करता रहेगा-ऐसा वस्तु स्वरूप है। इसी कारण अनादिकाल से आत्मा के चारित्र गुण मे पर्यायो का प्रवाह चला आ रहा है। D. प्रश्न -आत्मा के ज्ञानगुण मे अनादिकाल से पर्यायों का प्रवाह क्यो चला आ रहा है ? उत्तर-प्रत्येक द्रव्य-गुण अनादि अनन्त धौव्य रहता हुआ एक पर्याय का व्यय और दूसरी पर्याय का उत्पाद एक ही समय मे स्वय स्वत अपने परिणमन स्वभाव के कारण करता रहा है, करता है और भविष्य मे करता रहेगा-ऐसा वस्तु स्वरूप है। इसी कारण अनादिकाल से आत्मा के ज्ञानगुण मे पर्यायो का प्रवाह चला आ रहा है। 10 A. प्रश्न १०-अनन्तर पूर्व क्षणवर्ती पर्याय नौ नम्बर क्षणिक उपादान कारण और पोला उपादेय-इसको जानने-मानने से क्या-क्या लाभ हुआ? उत्तर-(१) भूत-भविष्य की पर्यायो से दृष्टि हट जाती है। (2) भाषावर्गणा जो त्रिकाली उपादान कारण था, वह भी व्यवहार