Book Title: Jain Siddhant Pravesh Ratnamala 02
Author(s): Digambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
Publisher: Digambar Jain Mumukshu Mandal

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Page 251
________________ ( 245 ) उपादान कारण ही रोटी का सच्चा कारण है। इसको जानने से क्या लाभ हमा? प्रश्न 25-(1) आटा त्रिकाली उपादान कारण और रोटी उपादेय। (2) अनन्तरपूर्व क्षणवर्ती पर्याय लोई क्षणिक उपादान कारण और रोटी उपादेय (3) उस समय पर्याय की योग्यता रोटी क्षणिक उपादान कारण और रोटी उपादेय / ऐसा शास्त्रो में बताया। परन्तु इतना लम्बा-लम्बा झगड़ा करने से क्या लाभ था। कह देते कि कार्य उस समय पर्याय की योग्यता से ही होता है ? प्रश्न २६-रोटी उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से बनी है। इसको जानने से क्या लाभ हुआ? प्रश्न २७–केवली के समान सच्चा ज्ञान होने से क्या-क्या अपूर्व कार्य देखने में आता है ? प्रश्न २८-विश्व में प्रत्येक कार्य उस समय पर्याय की योग्यता से होता है। तव कौन-कौन सी चार बातें एक साथ एक ही समय में नियम से होती हैं ? प्रश्न २६–कार्य उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से ही होता है, क्या यह निरपेक्ष है ? प्रश्न ३०-बाई ने रोटी बनाई-इस पर कितने प्रश्न उठते हैं ? प्रश्न ३१-बाई ने रोटी बनाई-इस पर छह कारक लगाकर बताओ? प्रश्न ३२-निमित्त को जानने का क्या लाभ है ? प्रश्न ३३-त्रिकाली कर्ता को जानने का क्या लाभ है ? प्रश्न ३४-त्रिकाली कर्ता आटे पर छह कारक लगाकर बताओ? प्रश्न ३५-अनन्तरपूर्व क्षणवर्ती पर्याय लोई को जानने का क्या लाभ है ? प्रश्न ३६-अनन्तरपूर्व क्षणवर्ती पर्याय लोई क्षणिक उपादान कारण पर छह कारक लगाकर बताओ?

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