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उत्तर - प्रकृति- प्रदेश- स्थिति और अनुभाग चार प्रकार की होती
है ।
प्रश्न ११- प्रकृति, प्रदेश हुआ इसमे निमित्त नैमित्तिक कौन है ? उत्तर - प्रकृति - प्रदेश नैमित्तिक, ओर योग गुण की विकारी पर्याय निमित्त ।
प्रश्न १२ - स्थिति, अनुभाग हुआ इसमे निमित्त - नैमित्तिक कौन है ?
उत्तर --- स्थिति अनुभाग हुआ नैमित्तिक और कपायभाव निमित्त । प्रश्न १३ - कर्मवन्ध हुआ, इसमे पृथक-पृथक निमित्तनैमित्तिक किस प्रकार हुए जरा स्पष्ट समझाइये
उत्तर- (१) प्रकृति- प्रदेश का वध हुआ नैमित्तिक और योग गुण की विकारी पर्याय निमित्त, (२) स्थिति - अनुभाग हुआ नैमित्तिक और कषायभाव निमित्त । कर्मवधन के लिए आत्मा के योगगुण के विकारी परिणमन को बहिरग निमित्त कारण कहा और कर्मबंधन के लिए जीव के कषायभाव को अन्तरंग निमित्त कारण कहा । परन्तु कर्मबंधन के लिए दोनो निमित्त धर्म द्रव्य के समान है । परन्तु निमित्तो की पहिचान के लिए स्पष्ट किया है ।
प्रश्न १४ - कर्मबन्ध मे योग की विकारी पर्याय और कषायभाव कैसे निमित्त हैं ?
उत्तर - वास्तव मे दोनो वहिरंग निमित्त है ।
प्रश्न १५ – कर्मबन्धन के लिए आपने योग के विकारी परिणमन को बहिरग निमित्त और कषाय को अन्तरग निमित्त क्यो कहा है ? उत्तर - (१) कपाय की मुख्यता बताने के लिए कपाय को अतरग निमित्त कारण कहा है और योगगुण के विकारी परिणमन की गोणता बताने के लिए वहिरंग निमित्त कारण कहा है।
प्रश्न १६ – कर्मबन्धन के लिए अन्तरग और बहिरंग निमित्त कारण बताने के पीछे क्या रहस्य है